जिरह-बहस और मुवक्किलों से गुफ्तगू के बीच अदालत के गलियारे पूछ रहे सवाल, कौन बनेगा ‘महाधिवक्ता’


कानून के इन धुरंधरों के नाम प्रथम पंक्ति में…उच्च न्यायालय के कोरिडोर में जिन चुनिंदा नामों की चर्चा उड़ रही है, उनमें प्रफुल भारत, किशोर भादुड़ी, यशवंत सिंह ठाकुर, आशुतोष कच्छवाहा के नाम शामिल हैं, जो भाजपा की सरकारों में पहले भी अतिरिक्त महाधिवक्ता के प्रतिष्ठित पदों का निर्वहन कर चुके हैं। हालांकि मंथन अभी जारी है और जब तक उसमें से किसी अमूल्य रत्न की प्राप्ति नहीं हो जाती, तब तक यह केवल कयास ही होंगे। यह भी उल्लेखनीय होगा कि वर्ष 2003 में नागपुर से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा जहां डिप्टी एडवोकेट जनरल रहे, डॉ रमन सिंह के तृतीय कार्यकाल वाली सरकार में महाधिवक्ता की पदवी पर काबिज हुए थे।

बिलासपुर(theValleygraph.com)। नई सरकार के महाधिवक्ता (Advocate General) कौन होंगे, इस पर मंथन का दौर शुरू हो चुका है। छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी अदालत के गलियारों में कानून के धुरंधरों में शुमार कुछ चुनिंदा और अतिविशिष्ट विधि विशेषज्ञों के नाम सुर्खियों में हैं। जिरह-बहस और मुवक्किल से गुफ्तगू से मिलने वाली फुर्सत के पलों में चाय की गरमा गरम चुस्कियों के साथ हर आम और खास टेबल पर चर्चाएं सरगर्म हैं, कि हो न हो, इन्हीं विभूतियों में से कोई एक इस रेस में बाजी मारते हुए छत्तीसगढ़ के अगले महाधिवक्ता का शक्तिशाली रुतबा हासिल करेगा।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मौजूदा सरकार में न्यायधानी का नेतृत्व कर विधि मंत्रालय के कमांडर नियुक्त हुए उप मुख्यमंत्री और लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, विधि और विधायी कार्य एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव स्वयं उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रैक्टिस कर चुके हैं। अब बारी कानून के ऐसे स्पेशलिस्ट के चुनाव की है, जो छत्तीसगढ़ सरकार में सर्वाधिक शक्तिमान माने जाने वाले ओहदे पर काबिज होने का कद रखता है। राजधानी से लेकर न्यायधानी की हवा तक और उच्च न्यायालय के कोरिडोर में जिन चुनिंदा नामों की चर्चा उड़ रही है, उनमें प्रफुल भारत, किशोर भादुड़ी, यशवंत सिंह ठाकुर, आशुतोष कच्छवाहा के नाम शामिल हैं, जो भाजपा की सरकारों में पहले भी पदों पर रह चुके हैं। हालांकि मंथन अभी जारी है और जब तक उसमें से किसी अमूल्य रत्न की प्राप्ति नहीं हो जाती, तब तक यह केवल कयास ही होंगे। कांस्टीट्यूशन के आर्टिकल 165 के तहत यह पूरी प्रक्रिया होती है, जो एक बड़ा संवैधानिक पद है, इसलिए सोच विचार का वक्त लिया जा सकता है।

एक AG से 200 पैनल लॉयर तक ऐसी होती है विशाल टीम
हालांकि उड़ती खबर तो यह भी है कि अगले 72 घंटों में महाधिवक्ता के साथ उनकी पूरी टीम के नाम फाइनल कर लिए जाएंगे। नए महाधिवक्ता की टीम में चार से पांच अतिरिक्त महाधिवक्ता, पांच से छह उप महाधिवक्ता, उनके अधीन 20 से 25 शासकीय अधिवक्ता, फिर उनके नीचे उप शासकीय अधिवक्ता और उनके नीच करीब 200 पैनल लॉयर समेत काफी लंबी लिस्ट बनेगी, जो सरकार के हर एक विभाग को सरकार की ओर से सरकार के मामलों पर न्यायपालिका में डिफेंड करेंगे। वर्तमान में हाई कोर्ट बिलासपुर में 16 कोर्ट हैं, जो कामकाज निपटा रहे हैं। इनमें से सभी कोर्ट में इनकी नियुक्ति रहेगी। आम तौर पर 80 से 90 प्रतिशत मामले सरकार के विरुद्ध पेश होते हैं, जिनके लिए सरकार अपने लिए एक टीम बनाती है। महाधिवक्ता की यह विशाल टीम सरकार की डिफेंडर के रूप में तत्परता से कार्य करती है। हर संवैधानिक मामले में सरकार को अपनी एडवाइस भी देते हैं। एडवोकेट जनरल का ओहदा हाईकोर्ट के न्यायाधीश के समकक्ष माना जाता है, जिन्हें किसी मंत्री और जज की तर्ज पर बांग्ला, सुरक्षा और अन्य वीवीआईपी सुविधाएं शासन की ओर से प्रदान की जाती हैं।

विधानसभा सत्र में भाग लेकर शासन को एडवाइस का भी अधिकार

महाधिवक्ता की शक्तियों की बात करें, तो उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेने का भी अधिकार मिलता है। उन्हें संविधान में यह अधिकार भी प्राप्त है कि अगर विधानसभा सत्र चल रहा हो तो उसमें भाग लेकर वे शासन को किसी विशिष्ट टॉपिक पर अपनी एडवाइस दे सकते हैं या अपनी बात रख सकते हैं। संविधान से प्रदत्त शक्तियों के तहत महाधिवक्ता का ओहदा मिलते ही वे स्वमेव राज्य अधिवक्ता परिषद के पदेन सदस्य बन जाते हैं।

नतीजे के दिन ही पूर्व AG सतीश चंद्र वर्मा ने दे दिया था त्यागपत्र

फिलहाल उच्च न्यायालय में स्थित महाधिवक्ता यानी सरकार के सबसे बड़े अधिवक्ता का दफ्तर सूना पड़ा है। राज्य में सत्ता परिवर्तन का असर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के महाधिवक्ता कार्यालय में सबसे पहले नजर आया था। चुनाव परिणाम के बाद 3 दिसंबर को ही पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। उनके त्यागपत्र देने के कुछ घंटों बाद ही छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने राज्यपाल के नाम इस्तीफा भेज दिया था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि मैं महाधिवक्ता पद से इस्तीफा दे रहा हूं। एक स्वस्थ परंपरा के रूप में इस्तीफा दे रहा हूं, ताकि नए मुख्यमंत्री के लिए अधिवक्ता के पद पर नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सके।


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