खुबसूरत वादियों से भरपूर केरल के वायनाड में अभी तबाही के मंजर दिख रहे हैं। अब तक के अभियान में 123 लोगों की जान चली जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह भीषण आपदा मंगलवार 30 जुलाई की तड़के उस वक्त हुई, जब ज्यादातर लोग अपने अपने घरों में चैन की नींद सो रहे थे। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि बारिश के लगातार बदलते ट्रेंड के चलते वायनाड की तरह का खतरा उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में भी बन सकता है।
वायनाड में भारी बारिश के चलते अनेक जगह से पहाड़ी ढह गई। काफी मात्रा में पानी, कीचड़ और टूटे चट्टानों से गिरे पत्थरों की बाढ़ सी आ गई। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मृतकों में से 34 की पहचान हो गई है। 16 शव पोथुकल गांव में चलियान नदी से बरामद किए गए। बचाव अभियान में लगे कर्मियों को लोगों के कटे हुए अंग मिलने से मौतों की संख्या कहीं ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
केरल में भारी बारिश के बाद हुए भीषण भूस्खलन ने वायनाड जिले में तचाही मचा दी। कई गांवों के कम से कम 123 लोगों की मौत होने की खबर आ रही है। घटना में 128 घायल बताए जा रहे हैं। मृतकों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है। बड़ी संख्या में अब भी लोग मलबे और कीचड़ में दबे हुए हैं जिन्हें निकालने में मिलिट्री समेत तीनों सेनाओं और NDRF के साथ स्थानीय प्रशासन की टीमें जुटी हुई और। खराब मौसम में भी लगातार लोगों को ढूंढने और बचाने की कोशिशें जारी हैं, ताकि मौत टाली जा सके। सीएम विजयन ने कहा की आपदा में हुई मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है। प्रारंभिक भूस्खलन देर रात करीब दो बजे हुआ और उसके बाद तड़के साढ़े चार बजे हुए भूस्खलन से पूरा का पूरा पोथुकल इसकी चपेट में आ गया। कोझीकोड में भारी नुकसान हुआ है। शवों को निकालने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की सहायता ली गई।
भारत के Prime Minister नरेंद्र मोदी ने सीएम विजयन से फोन पर बात कर दुख प्रकट किया और केंद्र की ओर से हर संभव मदद का विश्वास दिलाया है। PM ने मृतकों के परिवारजनों को 2-2 लाख की सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सीएम से कॉल पर बात की और वायनाड के पूर्व सांसद एवं लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इस भीषण आपदा पर दुख प्रकट किया है।
केरल के वायनाड ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के कई इलाकों में भी खतरे का अलार्म बज चुका है। मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में 3 अगस्त तक अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश होने का अनुमान है। इस दौरान पहाड़ी हिस्सों में कमजोर हो चुके उनके कुछ हिस्सों के खिसकने की आशंका बनी हुई है। पिछले साल हिमाचल प्रदेश में मची तबाही के दौरान इस बात की पुष्टि हुई थी कि हिमाचल के कुछ पहाड़ अंदरूनी तौर पर कमजोर हो चुके हैं। जबकि अन्य पहाड़ी राज्यों में भी इस तरीके की आशंका जताई गई थी। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक लगातार तेज होने वाली बरसात में ऐसे सभी हिस्सों में खतरा बरकरार है।