बारिश के मौसम में खासकर वन्य क्षेत्रों में मलेरिया महामारी का डर कई गुना बढ़ जाता है। इससे बचाव और नियंत्रण के लिए कोरबा विकासखंड अंतर्गत लेमरु क्षेत्र के पहाड़ी गांवों में स्वास्थ्य विभाग ने सघन जांच अभियान चलाया। इस दौरान पिछले कुछ दिनों में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर-घर दस्तक दी। इस अभियान में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले संरक्षित आदिवासी पहाड़ी कोरवाओं समेत एक हजार से ज्यादा ग्रामीणों की मलेरिया जांच की गई। बीमारी के लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य टीम ने अपने सामने मौके पर ही दवा की पहली खुराक भी खिलाई। इस तरह त्वरित पहल के माध्यम से क्षेत्र में मलेरिया के प्रकोप को नियंत्रित करते हुए शून्य जनहानि का लक्ष्य भी हासिल किया गया है।
कोरबा(thevalleygraph.com)। विदित हो कि छत्तीसगढ के अधिकांश क्षेत्रों में विशेषकर पहाड़ से घिरे वन्य क्षेत्रों इलाकों में इस मौसम में होने वाली महामारी उल्टी-दस्त और मलेरिया का प्रकोप देखने को मिल रहा है। जिसका व्यापक असर कोरबा जिला के सरहदी इलाका लेमरू श्यांग में भी असर रहा। लेमरू के अंतर्गत आने वाले रपता, विमलता, पेंड्रीडीह, नकिया में माह जुलाई से मलेरिया फैलने की जानकारी दी गई। इसके तत्काल त्वरित एक्शन लेते हुए खंड चिकित्सा अधिकारी डा. दीपक राज द्वारा सेक्टर स्तरीय टीम तैनात कर मलेरिया के मरीजों बुखार के मरीजों का समुचित इलाज करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। जिसके पालन के लिए अभियान प्रारंभ करते हुए एक टीम डाॅ एलआर गौतम और एक टीम डाॅ मनीष कर्ष के नेतृत्व में जुट गई। इन दोनों टीमों द्वारा प्रतिदिन संबंधित क्षेत्रों में घर घर जाकर सभी बुखार के मरीजों का आरडी किट से जांच और सभी लोगों को लक्षण के अनुसार दवाईयो का सेवन कराया गया। इसमें विशेष बात यह रही कि दवा की पहला खुराक अपने सामने ही सभी मरीजों को मलेरिया रोधी दवाई खिलाने के निर्देश बीएमओ डा दीपक राज द्वारा दिए गए थे। इस प्रकार पूरे जुलाई में लगातार कैम्प के माध्यम से कुल 1000 से भी ज्यादा लोगों का मलेरिया जांच किया गया और सभी को दवाईयां दी गई। इस प्रकार बेहतर कुशल नेतृत्व से इस भयंकर बीमारी के समय को बिना किसी जनक्षति से नियंत्रित करने में सफलता मिली। इस महामारी के नियंत्रण में खंड चिकित्सक डा दीपक राज, डा नायक, डा गौतम कर्ष, मनीष गोस्वामी, कांति एक्का ब्लाक स्तरीय टीम के सदस्यों आदि का सराहनीय प्रयास रहा। इस अभियान में जिला कार्यक्रम प्रबंधक पद्माकर शिंदे का भी विशेष सहयोग रहा।