बाल गायिका आरू साहू से सुरेश पटेल की खास बातचीत
रायगढ़(Suresh Patel)। लक्ष्मी पूजन समारोह में ग्राम नंदेली में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति करने से पहले छत्तीसगढ़ की उभरती लोक गायिका आरू साहू से खास बातचीत मीडिया प्रभारी सुरेश पटेल ने की। आरु साहू से परिचर्चा में हमने उनके जीवन, करियर और कला के लिए योगदान पर विस्तार से चर्चा की।
आरू साहू छत्तीसगढ़ी परिधान में मंच पर लाइव प्रदर्शन करती हुई, लोक संगीत की आत्मा को पुनर्जीवित करने समर्पित हैं। छत्तीसगढ़ की मिट्टी से जन्मी और वहीं की संस्कृति में रची-बसी आरू साहू ने अपनी मधुर आवाज और कला के दम पर बहुत कम उम्र में प्रदेश के संगीत प्रेमियों के दिलों में एक खास जगह बना ली है। उनकी गायकी में न केवल लोक संगीत की मिठास है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक अटूट संकल्प भी है।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
आरू साहू का जन्म 15 फरवरी को छत्तीसगढ़ में हुआ था। आरू साहू कितने वर्ष के? हम बता दे कि 2024 में आरु साहू की उम्र 16 साल है। उनका असली नाम ओजस्वी साहू है, लेकिन संगीत की दुनिया में वे आरू साहू के नाम से प्रसिद्ध हैं। बहुत ही छोटी उम्र से ही संगीत के प्रति उनकी लगन स्पष्ट दिखने लगी थी। उनके परिवार ने उनकी इस प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रोत्साहित किया। बचपन से ही आरू ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गीतों को गाना शुरू किया, जो उनकी संगीत यात्रा की नींव बनी।
करियर की शुरुआत
आरू साहू ने बहुत ही कम उम्र में संगीत की दुनिया में कदम रखा। उनकी मधुर आवाज और गहरी संगीत समझ ने उन्हें जल्दी ही एक लोकप्रिय कलाकार बना दिया। उनके द्वारा गाए गए छत्तीसगढ़ी लोकगीतों ने न केवल राज्य में, बल्कि पूरे देश में उनकी पहचान बनाई। वे अपने गीतों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखे हुए हैं।
आरू का करियर तेजी से आगे बढ़ा और उन्होंने कई मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी। उनकी गायकी ने उन्हें छत्तीसगढ़ की लोक संगीत की प्रमुख कलाकारों में शामिल कर दिया। इसके साथ ही, वे TedX जैसे प्रतिष्ठित मंच पर भी अपनी बात रखने का मौका पा चुकी हैं, जहां उन्होंने अपनी जीवन यात्रा और संगीत के प्रति अपने समर्पण को साझा किया।
पुरस्कार और सम्मान
आरू साहू को अब तक 45 से अधिक पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इतनी कम उम्र में इस प्रकार की उपलब्धियों को हासिल करना अपने आप में एक बड़ी बात है। इन पुरस्कारों ने न केवल उनकी प्रतिभा को मान्यता दी है, बल्कि उन्हें और भी अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित किया है। उनके इन पुरस्कारों में राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर पर मिले सम्मान शामिल हैं।
सोशल मीडिया और आधुनिक युग में प्रभाव
आरू साहू आज के समय में सोशल मीडिया पर भी बेहद सक्रिय हैं। उनके इंस्टाग्राम पर लाखों फॉलोअर्स हैं, जहां वे अपनी संगीत यात्रा से जुड़े पलों को साझा करती हैं। इसके अलावा, वे Facebook, Instagram, Youtube, Twitter और Spotify जैसी प्लेटफॉर्म्स पर भी उपलब्ध हैं, जिससे उनकी पहुंच और भी व्यापक हो गई है। इन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से वे अपने प्रशंसकों के साथ सीधे संवाद करती हैं और उन्हें अपनी नई प्रस्तुतियों से अवगत कराती हैं।
भविष्य की योजनाएं
आरू साहू ने कहा कि संगीत के माध्यम से छत्तीसगढ़ की संस्कृति को न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में फैलाने का सपना देखती हैं। वे अपने पारंपरिक गीतों को आधुनिक संगीत के साथ मिश्रित कर एक नए प्रकार का लोक संगीत तैयार कर रही हैं, जो न केवल छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नया अनुभव हो सकता है।
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध बाल गायिका आरु साहू का सांस्कृतिक कार्यक्रम 11 दिसंबर को ग्राम नंदेली में
अगहन मास आते ही नंदेली गांव एवं आसपास के क्षेत्र में एक विशेष उत्साह का माहौल निर्मित हो जाता है, क्योंकि इस गांव में प्रतिवर्ष मां लक्ष्मी पूजन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, गांव में विधि-विधान से मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित की जाती है एवं पूजन अर्चन किया जाता है। महिलाएं मां लक्ष्मी का दर्शन पाने एवं परिवार के सुख शांति के लिए पूजन व दर्शन करने आते हैं।
स्व. नंदकुमार पटेल एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक उमेश पटेल के गृह ग्राम नंदेली में विगत कई वर्षों से मां लक्ष्मी की मूर्ति रखी जाती है। इस वर्ष 10 दिसंबर से मां लक्ष्मी की पूजन प्रारंभ हो रही है। 10 दिसंबर को शाम 4:00 बजे कलश यात्रा निकाली गई है। मां लक्ष्मी की मूर्ति ग्रामीण बैंक के सामने स्थित पंडाल पर विराजित की जाएगी। 13 दिसंबर को कर्मा पार्टी द्वारा मां लक्ष्मी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। इसी बीच 11 दिसंबर बुधवार को इस वर्ष गांव नंदेली में छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध गायिका आरु साहू की रंगारंग कार्यक्रम रखा गया है। इनके द्वारा छत्तीसगढ़ी हिंदी एवं भोजपुरी की भक्ति एवं धार्मिक गीतों के साथ मनमोहक प्रस्तुति दी जाती है।