कोरबा(theValleygraph.com)। दीपावली के बाद देवउठनी एकादशी के साथ ही शुभ कार्यों की शुरूआत होगी। इस वर्ष 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी में माता तुलसी व भगवान शालीग्राम का विवाह होगा। इसके लिए बाजार में गन्ने की खेप पहुंचने लगी है। शादी के लिए इस बार नवंबर व दिसंबर में कई मुहूर्त है। देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इसके साथ ही एकादशी पर शुभ खरीदारी के लिए बाजार में तैयारी तेज हो गई है। आभूषण, नए वाहन, वस्त्र और प्रॉपर्टी खरीदी के लिए यह दिन काफी शुभ माना जाता है।
देवउठनी एकादशी का व्रत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। देवउठनी एकादशी को चातुर्मास का समापन होता है, साथ ही विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य पर लगी रोक भी हट जाती है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और अगले दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन होता है। व्रती अपने घरों में तुलसी के साथ भगवान शालिग्राम का विवाह कराते हैं। इससे सुख और सौभाग्य बढ़ता है। कहा जाता है कि कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को देवता गण उठते हैं, इसलिए इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11.3 बजे से शुरू हो रही है और यह तिथि 23 नवंबर गुरुवार के दिन रात 9.1 बजे पर समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर देवउठनी एकादशी का व्रत 23 नवंबर को रखा जाएगा। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 माह की योग निंद्रा से बाहर आते हैं। उसके बाद वे फिर से सृष्टि के संचालन का दायित्व भगवान शिव से प्राप्त करते हैं। कहा जाता है कि देवउठनी एकादशी को भगवान पाताल लोक को छोड़कर वापस अपने वैकुंठ धाम वापस आ जाते हैं। असुरराज बलि को दिए वचन के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक पाताल लोक में रहते हैं।
सोना-चांदी और हीरे जड़ित ज्वेलरी के एक से बढ़कर एक डिजाइन
मान्यता है कि इस दिन सोने-चांदी की खरीदी लाभकारी होगी। मुहूर्त के मद्देनजर सराफा बाजार में भी रौनक है और सोने चांदी व डायमंड में एक से बढ़कर एक डिजाइन मौजूद हैं। इस बार अबूझ मुहूर्त रहेगा और ऐसे में भूमि, भवन और वाहन की खरीदी भी की जा सकती है। कहते हैं कि देवउठनी एकादशी व्रत का पारण करने के बाद ब्राह्म्ण का भोजन कराना लाभदायक होता है। इसके साथ ही उन्हें कुछ दक्षिणा भी दी जाती है। इसके अलावा अन्न का दान सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। कहते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, उड़द, गुड़ का दान करना शुभ होता है। इसके अलावा वस्त्र का भी दान किया जाता है। इस एकादशी के दिन सिंघाड़ा, शकरकंदी, गन्ना और सभी मौसमी फलों का दान करना महत्वूपर्ण व लाभकारी माना गया है। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग समेत बन रहे 3 शुभ योग
भागवताचार्य व एचटीपीपी शॉपिंग सेंटर स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर के पुरोहित आचार्य हिमांशु महाराज के अनुसार 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर 3 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। उस दिन रवि योग सुबह 6.50 बजे से शाम 5.16 बजे तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 5.16 बजे से अलगे दिन सुबह 6.51 बजे तक है। वहीं सिद्धि योग दिन में 11.54 बजे से अगले दिन सुबह 9.5 बजे तक है। इसके अलावा लोग 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे 24 नवंबर को सुबह 6.51 बजे से सुबह 8.57 बजे के बीच कभी भी पारण कर सकते हैं। उस दिन पारण के लिए 2 घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा। 24 नवंबर को द्वादशी तिथि की समाप्ति शाम 7.6 बजे पर होगी।