पहले अपराध और दंड एक ही तरह का होता था। यानी पहले अपराध भी एक ही तरह का होता था। उसके लिए दंड का प्रावधान भी एक ही तरह का होता था और वह दंड होता था जेल भेजना। पर अब सामुदायिक सेवा के लिए भी न्यायालय को यह अधिकार दिया गया है कि प्रथम बार भी कोई अपराध करता है तो उसे सामुदायिक सेवा का दंड भी दिया जा सकता है।
कोरबा(theValleygraph.com)। यह बातें कोरबा SP सिद्धार्थ तिवारी (IPS) ने New Criminal Laws पर जिला पुलिस के Investigation Officer और Journalists से महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करते हुए कहीं। पुलिस अधीक्षक कार्यालय कोरबा में एक जुलाई से लागू होने जा रहे नए कानूनों के संबंध में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के पत्रकार शामिल हुए। कोरबा पुलिस द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के पत्रकार को बताने के उद्देश्य से पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दोपहर 2.30 बजे से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी (IPS) ने पीपीटी के माध्यम से नवीन क़ानून के संबंध में जानकारी दी गई। श्री तिवारी ने मीडिया से अनुरोध किया की नवीन कानूनों का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करे, ताकि जनमानस को इसके बारे में जानकारी हो।
1 July 2024 से नए कानून लागू हो जाएंगे। इसलिए इसके बारे में जानकारी देने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। लागू होने वाले नए कानून देश की न्याय व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ और पारदर्शी बनाएंगे। भारतीय न्याय संहिता का उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार करना है, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ सुरक्षा उपायों को भी सुनिश्चित करती है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने वाले साक्ष्यों की मान्यता और प्रामाणिकता से संबंधित है।