शाह की सभा में 11 माह पहले उमड़ी थी जैसी भीड़, इस बार आधी रह गई, लोग जिन्हें सुनने आए उन्हें ही नहीं पहचान पाए


Video:- करीब 11 महीने पहले भी अमित शाह कोरबा के इंदिरा स्टेडियम में आए थे। तब स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था। पर आज घंटाघर ओपन थिएटर में संख्या उससे घटकर आधी रह गई। इस बीच हल्ला उड़ा कि पीएम मोदी आ रहे हैं। पर इस सभा से ज्यादा भीड़ कांग्रेस की वार्ड रैलियों में देखने को मिली। जहां हजारों की संख्या में लोग स्वस्फूर्त शामिल होने उमड़ रहे थे। गाड़ियों में भरकर जुटाई गई सभा में जितनी भीड़ दिखी, उतनी तो कांग्रेस के केवल एक वार्ड रैली में उमड़ पड़ती है। जिनका आयोजन कांग्रेस ने बुधवार को किया था। यहां तक कि जिन्हें वे सुनने आए थे, लोगों ने कहा कि वे उन्हें पहचानते ही नहीं।

कोरबा(theValleygraph.com)। इसे बड़ी विडंबना ही कहेंगे कि लोगों को यह तक पता नहीं था कि यहां किस नेता की सभा होने वाली है। सभा में भी ज्यादातर महिलाएं थीं। जिन्हें वहां किराए के वाहनों में ढोकर सभा स्थल तक लाया गया था। इन्हें ना तो सभा से कोई दिलचस्पी थी ना भाजपाइयों से, उन्हें मतलब था तो सिर्फ उनके दिन भर के मेहनताने से। भाजपाइयों ने वाहनों का प्रबंध कर लोगों को घर से ढोकर स्थल तक पहुंचा और फिर उन्हें वापस छोड़ा। तब जाकर उनकी सभा में कुछ भीड़ जुट सकी।

50 के बजाय शाह सिर्फ 15 मिनट रुके

कोरबा के सभा के बारे में गृह मंत्री को यह बात पता थी। प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें 50 मिनट का समय कोरबा में गुजारना था। लेकिन वह लगभग 15 मिनट ही रुके। भाषण दिया और वापस रवाना हो गए। उन्होंने दूर खड़े लखन को पास बुलाया और उनके सामने ही मंच पर भगदड़ सी मच गई। शाह को उन्हें इशारा कर मंच को व्यवस्थित करने कहना पड़ा।

मंच पर ही टूटता दिखा अनुशासन

वैसे तो भाजपाई खुद को अनुशासित बताते हैं। दूसरी ओर गृह मंत्री अमित शाह जैसे कद के नेता जब मंच पर आने वाले थे, तब भाजपा के पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर को बोलने के लिए बुलाया गया। इसके बाद वक्त गुजरता गया पर ननकी राम माइक छोड़ने को तैयार नहीं थे। इस बीच महतो से लेकर कई भाजपाई उनके कान में कह रहे थे कि माइक छोड़ दीजिए, शाह आने वाले हैं। पर वे कह रहे थे कि ठीक है उन्हें आने दो, मेरा समय क्यों बर्बाद करते हो। यह सब तमाशा जनता के समक्ष हो रहा था।


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