कांगेर घाटी के जंगल में प्रकृति की आवाज, यानी परिंदों का पीछा करने देशभर से जुटेंगे पक्षी विज्ञानी


खूबसूरत परिंदे प्रकृति की आवाज है, अनमोल धरोहर हैं और संसाधन हैं। इनके कलरव से जंगल बोलता है, सैलानियों को आकर्षित करता है और अगर पक्षियों का शोर थम जाते ही मानों वही जंगल वीराने में तब्दील महसूस होता है। यही वजह है जो पक्षियों की खोज की विधि में उनकी आवाजें सुनकर पहचान एक अहम बिंदू है। इनकी उपस्थिति को बढ़ावा और संरक्षण पर जोर देते हुए 70 से अधिक पक्षी विज्ञानी एक बार कांगेर घाटी में शोध और सर्वे के लिए जुटने जा रहे हैं। देशभर के 9 राज्यों के विशेषज्ञ और शोधार्थी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में तीन दिनों तक पक्षियों का सर्वे करेंगे।

रायपुर(theValleygraph.com)। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की प्रजातियों का सर्वे, बर्ड काउंट इंडिया और बर्ड एंड वाइल्डलाइफ छत्तीसगढ़ के सा मिलकर यह सर्वे 25 फरवरी से 27 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा हैं। कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान के प्राकृतिक रहवास में वन्यजीव और पक्षियों की विविधता को देखते हुए यह सर्वे का आयोजन किया जा रहा है। 200 वर्ग किलोमीटर के विस्तार वाले इस राष्ट्रीय उद्यान में पेड़-पौधे और जीव जंतुओं का विविध आकर्षण है, जो एक सहज और सामंजस्यपूर्ण पर्यावरण बनाए रखता है। यहां की जैव विविधता का संगम प्राकृतिक सौंदर्य को और भी बढ़ाता है, साथी यहां आस-पास रहने वाले स्थानीय आदिवासी समुदाय इस राष्ट्रीय उद्यान के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाने से कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान देश में अपनी विशेष पहचान बनाता है।

मैना मित्र करते हैं पक्षियों के संरक्षण में कार्य

पार्क में मैना मित्र योजना संचालित है, जिसमें स्थानीय युवा और गांव के सदस्य पक्षियों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भागीदारी दे रहे हैं। इसके अलावा, इको विकास समिति के सदस्य भी सहयोग प्रदान कर रहे हैं, जिससे सामुदायिक सहयोग के साथ प्राकृतिक संरक्षण में सुधार हो रहा है। यह उल्लेखनीय भी है कि छत्तीसगढ़ राज्य के राजकीय पक्षी बस्तर पहाड़ी मैना अब राष्ट्रीय उद्यान से लगे 15 से अधिक ग्रामों में दिखाई देने लगी है।

70 से अधिक पक्षी विज्ञानी और शोधार्थी हो रहे शामिल

इस पक्षी सर्वे कार्य में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना ,आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान राज्यों से 70 से भी अधिक पक्षी विशेषज्ञ, रिसर्चर व वालंटियर शामिल हो रहे हैं जो कांगेर घाटी के अंतर्गत पक्षी अध्ययन के लिए अपना योगदान देंगे।

पिछले वर्ष 200 से अधिक प्रजातियों का हुआ था अध्ययन

पार्क निदेशक धम्मशील गणवीर ने कहा कि पिछले वर्ष भी पक्षियों का अध्ययन किया गया था जिसमें 201 पक्षियों की प्रजातियां की पहचान की गई थी, जिसमें पहाड़ी मैना, ब्लैक हुडेड ओरियोल,भृंगराज, जंगली मुर्गी, कठफोड़वा, रैकेट टेल, सरपेंटाईगर, आदि शामिल हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो रहा है कि राष्ट्रीय उद्यान पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। और देश के पक्षी प्रेमियों के लिए एक बर्डिंग हॉटस्पॉट के रूप में उभर कर आ रहा है। इस सर्वे कार्य से राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न पक्षियों के प्रजातियां की पहचान के साथ-साथ विशिष्ट पक्षियों के प्रजातियों के आपसी संबंध और रहवास के बारे में जानकारी प्राप्त होगी जिससे हमें आगे पक्षियों के संरक्षण योजना में मदद मिलेगी।


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