“कोविड-19 के दौर में AIIMS का सर्वर हुआ हैक तो मिला Idea…, KN College की प्रोफेसर डाॅ मोहन मंजू ने 5 साल रिसर्च कर बनाया मेडिकल डेटा सिक्योर करने वाला App”
कठिनाइयां कुछ न कुछ सिखाकर जाती हैं, जो कई बार जिंदगी को और बेहतर बनाने की नई राह भी दे जाती हैं। यह बात कमला नेहरू महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ मोहन मंजू ने साबित कर दिखाया है। कोविड-19 के मुश्किल दौर में एम्स के सर्वर पर साइबर अटैक हुआ। मेडिकल डेटा हैक करने की कोशिश हुई और इस घटना से उनके मन मस्तिष्क में एक आइडिया ने जन्म लिया। समाधान ढूंढने उन्होंने 5 साल की रिसर्च के बाद साइबर अटैक फेल करने वाला एक ऐसा App डिजाइन कर डाला, जिसकी मदद से डॉक्टर और मरीज के बीच के गोपनीय मेडिकल इन्फॉर्मेशन चुराया नहीं जा सकेगा। भविष्य की संभावनाओं के मद्देनजर इस एप को विकसित कर और बेहतर बनाने का उनका कार्य प्रगति पर है।
कोरबा(theValleygraph.com)। अपने इस नए एप के बारे में डाॅ मोहन मंजू ने बताया कि जब किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की मेडिकल रिपोर्ट जनरेट होने के बाद किसी एक डाॅक्टर से दूसरे डाॅक्टर के पास पहुंचती है, तो आॅनलाइन सिस्टम में उसके मेन्युपुलेट होने का खतरा होता है। कोविडकाल में वर्ष 2020-21 में एम्स के सर्वर पर अटैक हुआ था, जिससे डाॅक्टर और पेशेंट दोनों का डेटा चोरी हो गया था। इसे तकनीकी भाषा में स्टील करना या हैक हो जाना कहते हैं, जिससे पेशेंट और डाॅक्टर की इंफाॅरमेशन एक्सपोज हो गए थे। इस तरह के मामलों में किसी बड़ी शख्सियत की स्वास्थ्य संबंधी अहम जानकारी या बीमारी की बात बाहर आने उनके पीछे मार्केट के शेयर गिर सकते थे और बाजार पर नुकसान का बड़ा असर हो सकता था। इन्हीं कारणों को समझकर ही उन्होंने इस विशेष विषय को अपने शोध के लिए चुना और समाधान भी ढूंढ़ लिया। रिसर्च के बाद उन्होंने इस मिशन को आगे बढ़ाने का काम भी शुरु कर दिया गया है, ताकि निरंतर बढ़ती तकनीक के दौर में भविष्य इस समाधान का तोड़ भी हैकर्स न निकाल सकें।
“AIIMS के सर्वर पर अटैक क्या हुआ, कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर ने साइबर तकनीक पर कर डाली डॉक्टरी, 5 साल रिसर्च कर बनाया अभेद्य प्रोटेक्शन वॉल”
नहीं रहेगा हेकर्स के इंवाॅल्मेंट का खतरा, App को विकसित कर और बेहतर बनाने रिसर्च जारी
कोविड-19 के मुश्किल हालात से तो पूरी दुनिया वाकिफ है। मानव के अस्तित्व पर आफत की ऐसी आपात घड़ी में भी अपराध के काले कारोबार से जुड़े तत्वों ने अपना गोरख कारोबार चमकाने का मौका ढूंढ़ लिया। उस दौरान एम्स के सर्वर पर अटैक हुआ था और तभी कोरबा के एक प्रोफेसर के दिमाग में एक आइडिया जनरेट हुआ। कमला नेहरु काॅलेज में कंप्यूटर साइंस विभाग की सहायक प्राध्यापक डाॅ मोहन मंजू ने संवेदनशील मेडिकल डेटा को सौ प्रतिशत सुरक्षित करने की युक्ति पर काम शुरु किया। उन्होंने करीब 5 साल की रिसर्च के बाद एक ऐसा एप्लिकेशन तैयार किया, जिसकी मदद से मेडिकल डेटा नेटवर्क में हेकर्स के इंवाॅल्मेंट का खतरा अब नहीं रहेगा। इस एप को विकसित कर और बेहतर बनाने का यह कार्य प्रगति पर है। इस विषय पर शोध प्रबंध करते हुए उन्होंने 18 सितंबर को रिसर्च पूरा किया है। उनकी इस सफलता पर कमला नेहरू महाविद्यालय के सभी वरिष्ठ एवं साथी प्राध्यापकों में खुशी की लहर है।
मेडिकल डेटा को एंक्रिप्ट एवं डिक्रिप्ट करने मल्टिपल एल्गोरिदम को स्टडी कर क्रियेट किया प्रोटेक्शन वाॅल
डाॅ मोहन मंजू ने मेडिकल डेटा को सिक्योर (एंक्रिप्ट एवं डिक्रिप्ट) करने के लिए एक नया एप्लिकेशन डिजाइन किया है। कंप्यूटर एप्लिकेशन में पीएचडी उपाधि प्राप्त कर चुकीं डाॅ मंजू ने अपने टाॅपिक ए सिक्योर डेटा कैरिंग मेथेडोलाॅजी थ्रू डिजिटल प्रोटेक्शन वाॅल फाॅर सेंसिटिव डेटा ओवर वायरलेस ट्रांसमिशन कैरियर मीडिया पर रिसर्च पूरा किया। उन्होंने मल्टिपल एल्गोरिदम को स्टडी कर एक से ज्यादा स्ट्रॉन्गेस्ट एल्गोरिदम को मर्ज कर के एक प्रोटेक्शन वाॅल क्रियेट किया है। जिससे मेडिकल डेटा नेटवर्क में हेकर्स के इंवाॅल्मेंट का खतरा नहीं रहेगा। उन्होंने अपना शोध कार्य व पीएचडी की उपाधि डिपाॅर्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की सहायक प्राध्यापिका डाॅ शाहिस्ता नवाज एवं को-सुपरवाइजर डाॅ राजेश कुमार पाठक के मार्गदर्शन में प्राप्त किया था। उनकी इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर एवं समस्त कॉलेज परिवार ने शुभकामनाएं दी हैं।
कोविड 19 के मुश्किल दौर में हुआ था एम्स के सर्वर पर साइबर अपराधियों का अटैक
कोविड के समय में 2020-21 एम्स के सर्वर पर जो अटैक हुआ था, जिससे डाॅक्टर और पेशेंट दोनों का डेटा चोरी हो गया था। इसे तकनीकी भाषा में स्टील करना या हैक हो जाना कहते हैं, जिससे पेशेंट और डाॅक्टर की इंफाॅरमेशन एक्सपोज हो गए थे। बीकन इंग्लिश मीडियम स्कूल कुसमुंडा की छात्रा रहीं डाॅ मोहन मंजू ने कमला नेहरु काॅलेज से ही बीएससी गणित की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने कोरबा कंप्यूटर काॅलेज से पीजीडीसीए कर आईएएसई यूनिवर्सिटी राजस्थान से एमसीए की स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। वर्तमान में वे कमला नेहरु महाविद्यालय में कंप्यूटर साइंस एवं आईटी विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर सेवाएं दे रही हैं। काॅलेज में अध्यापन कार्य करते हुए ही उन्होंने श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय रायपुर से डाॅक्टोरेट किया। डाॅ मंजू एसईसीएल के सेवानिवृत्त डीसीएम आर मोहन पिल्लई एवं श्रीमती वसंता पिल्लई की पुत्री हैं।