मैं हूं रवीना, एक एजुकेटेड transgender, लॉ किया, अब बनना है सिविल जज…और मैं बन के रहूंगी


कमला नेहरू महाविद्यालय में पढ़ रही आदिवासी अंचल के साहसी College Student रविंद्र उर्फ “रवीना” ने किया जिले के गौरवांन्वित, एमए अंग्रेजी की स्टूडेंट, आर्थिक व सामाजिक मुश्किलों से लड़ी और कड़ी मेहनत कर ज्योतिभूषण प्रताप सिंह विधि महाविद्यालय से हासिल की एलएलबी की डिग्री।

कोरबा/रायपुर(theValleygraph.com)। मुझे यह बात बोलने-कहने, बताने या खुलकर सामने आने में जरा भी झिझक नहीं। ना ही मैं शर्मसार हूं कि मैं एक ट्रांस जेंडर हूं। हां, मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं भी भारत की एक शिक्षित और जागरुक नौजवान हूं। छोटी उम्र से ही  मैंने बड़ी मुश्किलें देखी हैं। सामाजिक, आर्थिक कठिनाइयों से खुलकर लड़ा, ताने और फब्तियां सुनी और तब जाकर लॉ की डिग्री तक पहुंची। अब मेरा अगला लक्ष्य सिविल जज बनना है और राह में चाहे कितनी भी रुकावटें क्यों न आ जाएं, उन्हें पारकर मैं वह बनकर रहूंगी, जिसका सपना मैंने देखा है। एक न्यायाधीश इसलिए, ताकि समाज में अब भी अपने अस्तित्व, अस्मिता और पहचान के लिए गुमनामी में लड़ने को विवश इसी देश के मुझ जैसे नागरिकों का हाथ थाम सकूं। उन्हें विकास की मुख्य धारा में खड़ा करने के काबिल बन सकूं।

यह कहना पोड़ी-उपरोड़ा के ग्राम बैरा की रहने वाली रविंद्र सिंह उर्फ रवीना का। चार भाई-बहनों में एक बड़ी बहन के बाद वे दूसरे नंबर की हैं। उन्हें परिवार का तो सपोर्ट मिलता रहा, पर परिवार की आर्थिक मुश्किलें हमेशा कदम रोकने की कोशिश करते रहे। पिता शिव सिंह एक किसान हैं। उन्होंने कहा कि मुश्किलें आर्इं, पर कभी गलत राह को नहीं चुना जैसे ट्रेनों में मांगना या कोई ऐसा कार्य, जिसके चलते कोई उंगली उठा सके। उन्होंने पसान से हाई व हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास की। उसे बाद पेंड्रा के कॉलेज से बीए किया और अपने लक्ष्य के अनुरूप विधि की पढ़ाई शुरू की। इसके बाद उन्होंने ज्योतिभूषण विधि महाविद्यालय कोरबा में दाखिला लिया और पिछले साल ही 69 प्रतिशत अंकों के साथ एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। रविंद्र ने बताया कि वह एक निर्धन और सामान्य किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। नतीजा यह कि शुरूआती शिक्षा-दीक्षा में स्कूल के दिन काफी परेशानियों से भरे रहे। ट्रांस जेंडर होने का उन्हें कोई मलाल नहीं, पर इस समाज की रुढ़ियों ने उन्हें कई बार रोने पर मजबूर कर दिया। पर इन कठिनाइयों ने रविंद्र को हमेशा और मजबूत किया और वह अपनी राह पर आगे ही आगे बढ़ते रहे। किसी तरह स्कूल की शिक्षा पूरी की तो माता-पिता ने उनकी आगे पढ़ने की उत्सुकता पर प्रोत्साहन देकर इरादे मजबूत करते रहे और उन्होंने बीए की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद समाज में व्याप्त असामाजिकता के खिलाफ और न्याय के लिए खुद को तैयार करने का संकल्प लिया। इसके लिए रविन्द्र ने वकालत के कॅरियर को चुना और अपने लक्ष्य की राह पर आगे बढ़ते हुए उन्होंने लॉ पढ़ा।

केएन कॉलेज में वह प्रोत्साहन मिला, जिसका हकरदार होकर भी बचपन से इंतजार था
एमए अंग्रेजी में दूसरे सेमेस्टर की विद्यार्थी रविंद्र ने कहा कि कमला नेहरू कॉलेज में मिले उत्कृष्ट शिक्षकीय वातावरण में उन्हें कदम-कदम पर वह प्रोत्साहन, अपनत्व व स्नेह मिला, जो अपने घर से बाहर आकर जिंदगी जीना सीख रहा विद्यार्थी खोजता है। इसका हकदार होकर भी स्कूल से लेकर बीए की डिग्री हासिल करने तक इंतजार रहा, जो यहां पर मिला। इसके पहले तक कदम-कदम पर अपने होने का एहसास दुख देता था, पर केएन कॉलेज में आकर सुकून का एक नया एहसास सीखा, कि कैसे खुद पर नाज करें। ज्योति भूषण प्रताप सिंह विधि महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक एचके पासवान तो कमला नेहरू महाविद्यालय में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष ब्रिजेश तिवारी सर लगातार पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं। शिक्षा प्राप्त करने यहां का माहौल मुझे अपने लक्ष्य की ओर सधे हुए कदमों से आगे बढ़ने प्रेरित व प्रोत्साहित कर रहा है। मुझे विश्वास है कि मैं एक दिन अपने सपने जरूर पूरा करूंगी। कमला नेहरू महाविद्यालय समिति जैसे ही उनकी परिस्थितियों से अवगत हुई, शासन की योजनाओं का त्वरित लाभ देते हुए उनकी फीस भी माफ कर दी गई। कमला नेहरू महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर ने कहा- कि अब वह निश्चिंत होकर अपनी पढ़ाई पर फोकस करें।

मेरे जैसे कई हैं जो पढ़ रहीं, पर डर-डरकर, उन्हें शासन की मदद चाहिए
कहीं न कहीं शासन से प्रोत्साहन मिलना चाहिए, कुछ सीटें आरक्षित होना चाहिए। मेरी बहुत सी सखियां हैं, जो पढ़ाई कर रहीं हैं, लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में वे गुमनाम रहर अपनी अकेले लड़ाई लड़ने विवश हैं। खुलकर आने से हिचकिचा रहीं हैं। समाज में किसी और से तो छोड़िए, अपने परिवार से ही डरी-सहमी रहती हैं और इसीलिए सामने आने से कतराते हैं। मैं उनसे यही कहना चाहूंगी कि हम अगर मन में ठान लें, तो वह सारी सफलताएं हासिल कर सकती हैं, जो एक सामान्य महिला या पुरुष प्राप्त करते हैं। जरूरत है तो अपने मन की उन गांठों को खोलने की, जिन्होंने हमें अपने शिकंजे में जकड़कर मजबूर बनाकर रखा है। उन्हें इन मजबूरियों से आजाद कराना है।

फर्राटे से बोलती हैं अंग्रेजी, कहा- रविंद्र नहीं “रवीना” कहकर पुकारिए
रविंद्र ने कहा कि उनका प्रचलित नाम रवीना है, इसलिए आप भी रवीना कहकर संबोधित करें। उन्होंने सिविल जज बनने का लक्ष्य बनाया है, जिसे हासिल करने वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं। फर्राटे से अंग्रेजी बोलने में माहिर यह विद्यार्थी समुदाय के युवाओं को कदम से कदम मिलाकर अपने साथ लाने संघर्ष कर रही है। रवीना ने बताया कि अखिल भारतीय स्तर की एक परीक्षा में आवेदन भरते समय तृतीय लिंग का विकल्प नहीं मिलने पर दुख हुआ। वह चाहते हैं कि शासन-प्रशासन इस दिशा में वे व्यवस्थाएं सुनिश्चित करे, जो एक भारतीय नागरिक होने के अधिकार से उन्हें मिलनी चाहिए। वह खुद आत्मनिर्भर व सफल बनकर समुदाय को भी विकसित व जागरुक करने की लड़ाई लड़ने खुद को तैयार कर रहे हैं, ताकि वे भी देश व समाज को विकास की राह पर ले जाने अपना योगदान अर्पित कर सकें।

हमें खुशी है गर्व है कि हमारे कॉलेज में ऐसी होनहार व साहसी student है: कमला नेहरू महाविद्यालय समिति

इस संबंध में कमला नेहरू महाविद्यालय समिति के अध्यक्ष किशोर शर्मा, सचिव सुरेन्द्र लाम्बा, उपाध्यक्ष डॉ आरसी पाण्डेय व सहसचिव उमेश लाम्बा ने कहा कि समिति और पूरे महाविद्यालय परिवार को गर्व है कि ऐसी होनहार स्टूडेंट हमारे कॉलेज में है। उन्हें उनके लक्ष्य तक पहुंचाने किसी भी प्रकार के सहयोग के लिए समिति तत्पर है।


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