सैलानियों के लिए मनोहारी पर्यटन स्थल में बदलेगा SECL KORBA एरिया स्थित मानिकपुर पोखरी, मिल चुकी है पीएम मोदी की तारीफ, अब ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेगा एसईसीएल, 57 साल पहले रूसी तकनीक से शुरू हुई थी कोयला खोदाई, फिर पानी भर जाने से चौबीस वर्ष पूर्व बंद कर दी गई। छत्तीसगढ़ में इस प्रकार दूसरी परियोजना होगी यह, कोरबा जिले में मानिकपुर पोखरी का होगा विकास।
कोरबा(thevalleygraph.com)। कोयला उत्खनन के बाद बंद या किसी कारण परित्यक्त कोल माइंस को एक-एक कर कोल इंडिया मनोहारी टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित कर रहा है। इस प्रोजेक्ट में पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा पा चुके कोरबा की मानिकपुर पोखरी को भी शामिल किया गया है। रेलवे स्टेशन की सेकेंड एंट्री से लगे पोखरी में एडवेंचर स्पोर्ट के शौकीन सैलानियों के लिए यहां क्लाइंबिंग वॉल, बोटिंग और मनोरंजन के ऐसे ही रोमांचक इंतजाम होंगे। इसके साथ ही फ्लोटिंग रेस्तरां में स्वादिष्ट भोजन की भी सुविधा यहां आने वाले पर्यटकों को मिल सकेगी। यह छत्तीसगढ़ राज्य में इस प्रकार का दूसरा ईको-टूरिज्म साइट होगा।
एसईसीएल ने कोरबा जिले में अवस्थित मानिकपुर पोखरी को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इससे पहले एसईसीएल द्वारा सूरजपुर जिले में स्थित केनापरा में भी बंद पड़ी खदान को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा चुका है, जहां आज दूर-दूर से सैलानी घूमने और बोटिंग एवं अन्य गतिविधियों का लुत्फ लेने आते हैं। इस पर्यटन स्थल की प्रशंसा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्वीट के जरिये कर चुके हैं। मानिकपुर ओसी कोरबा जिले की सबसे पहली खदानों में से एक है। वर्ष 1966 यहां रूसी तकनीकी परामर्श से कोयला खनन की शुरूआत हुई थी। करीब 24 वर्ष बाद कोयला खनन के लिए खुदाई के दौरान यहां भू-जल स्रोत मिलने से यहां इतना जल भंडारण हुआ जिसे मोटर पंप आदि की सहायता से भी बाहर नहीं निकाला जा सका और अंतत: खदान को बंद करना पड़ा। इस परियोजना से कोरबा जिले के वासियों को एक नया पर्यटन स्थल तो मिलेगा ही साथ ही साथ यह लोगों के लिए आजीविका के नए स्रोत भी मिलेंगे। गौरतलब है कि राष्ट्रीय कोयला उत्पादन का लगभग 16 प्रतिशत हिस्सा कोरबा जिले से आता है और यहां लगभग 6,428 मेगावाट क्षमता के कोयला विद्युत संयंत्र है। यहां देश ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदानें स्थित हैं। कोल इंडिया द्वारा पूरे देश में बंद-परित्यक्त खदानों को ईको-पर्यटन स्थलों में बदलने की योजना पर काम किया जा रहा है जिससे न सिर्फ कोयला खनन होने के बाद भी ये खदानें पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय हो रहीं हैं बल्कि आस-पास के लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहीं हैं।
11 करोड़ से अधिक राशि होगी इन्वेस्ट, 5.60 करोड़ मिले
इस परियोजना के तहत एसईसीएल नगर निगम कोरबा से साथ मिलकर जिले में स्थित मानिकपुर पोखरी को ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 11 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करेगी। इस परियोजना के अंतर्गत बंद पड़ी मानिकपुर ओसी, जिसने एक पोखरी का रूप ले लिया है, को विभिन्न पर्यटन सुविधाओं से लैस एक रमणीक ईको-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। हाल ही में कंपनी ने परियोजना के क्रियान्वयन के लिए चेक द्वारा कलेक्टर कोरबा को 5.60 करोड़ रुपए की राशि जारी की है।
SECL के मानिकपुर पोखरी ईको-पर्यटन प्रोजेक्ट एक नजर में…
– 8 हेक्टेयर से अधिक के क्षेत्र में फैली है मानिकपुर पोखरी।
– एक ईको-पर्यटन स्थल में परिवर्तित किया जाएगा ।
– यहां पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाओं को विकसित किए जाएंगे।
– इनमें बोटिंग सुविधा, फ्लोटिंग रेस्टोरेन्ट, कैफेटेरिया होंगे।
– पोखरी परिसर में गार्डन, सेल्फी जोन, चिल्ड्रन प्ले एरिया भी होगा।
– एडवेंचर स्पोर्ट में क्लाइम्बिंग वॉल, रिपेलिंग वॉल, जिपलाइन रोलर कोस्टर।
– म्यूजिकल फव्वारा और भव्य प्रवेश द्वार भी निर्मित होगा।
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