खेतों में भृंगराज-चिरपोटी जैसे खरपतवारों के नुकसान को रोकने की विधियों से रूबरू हुए कृषि विद्यार्थी


कृषि महाविद्यालय व अनुसंधान केंद्र की पहल, ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के तहत प्राध्यापक डॉ.तरुण कुर्रे ने चतुर्थ वर्ष के छात्र-छात्राओं का ज्ञानवर्धन किया.

कोरबा(thevalleygraph.com)। खेती करने वाले किसानों के लिए फसल के बीच पनपने वाले खरपतवारों का आना एक बड़ी आम समस्या है, जो उत्पादन को प्रभावित करते हैं। इसी तरह की अन्य समस्याओं, जिनसे खेती को नुकसान पहुंचता है, उनकी रोकथाम को लेकर ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने खेतों के बीच एक आयोजन रखा गया। इसमें कृषि विशेषज्ञों ने अनेक उपायों से अवगत कराते हुए विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन किया।

यह कार्यक्रम कृषि महाविद्यालय व अनुसंधान केंद्र लखनपुर कटघोरा के अधिष्ठाता एसएस पोर्ते के मार्गदर्शन में रखा गया था। कृषि के विद्यार्थियों को कक्षा में पढ़ाई के साथ-साथ मैदानी स्तर पर भी कृषि कार्य की बारीकियों व तकनीकी पहलुओं को जानना जरूरी है। इसलिए समय-समय पर खेतों का भ्रमण कर उन्हें विषय की गहराइयों से जानकारी प्रदान की जाती है। कृषि महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ.तरुण कुर्रे ने चतुर्थ वर्ष के छात्र-छात्राओं को अवगत कराते हुए ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के तहत यह पहल की। इस दौरान ग्राम विजयपुर के किसानों के खेतों में जाकर उगने वाले विभिन्न खरपतवारों जैसे भृंगराज, जंगली जूट, चिरपोटी, गुमि,चूहा, बी, गंगाई ,आदि की पहचान कराया गया और किसानों को इन खरपतवारो से होने वाली नुकसान से अवगत कराया गया साथ ही इसके रोकथाम की विभिन्न विधियों के बारे में जानकारी प्रदान की गई। उन्हें कुल तीन तरह से खरपताओं की समस्या के निवारण की विधियां बताई गई। इनमें सबसे पहले कृषिगत विधियों के अंतर्गत भू-परिष्करण पद्धति, यांत्रिक विधियों और अंत में  रासायनिक प्रबंधन की विधियों के बारे में जानकारी प्रदान की गई।

यांत्रिक-रासायनिक समेत तीन विधियों से हुए रूबरू

कृषि कॉलेज के विद्यार्थियों ने सर्वप्रथम कृषिगत विधियों के अंतर्गत भू-परिष्करण पद्धति, स्वच्छ बीज और फसल चक्र के बारे में जाना। इसके बाद उन्हें अच्छादन, फसलें, अंतर्वत्ति खेती, पलवार, का उपयोग किस्म का चुनाव, आदि से खरपतवार का नियंत्रण कैसे कर सकते हैं किसानों को अवगत कराया गया। दूसरी कड़ी में उन्हें यांत्रिक विधियों से अवगत कराया गया। इसके तहत खरपतवारों को हाथ से उखाड़ना हस्तचलीत यंत्रों से निराई गुड़ाई करना बाढ़ द्वारा खरपतवार नियंत्रण करना सीखा। इसी तरह तीसरी कड़ी में उनके समक्ष रासायनिक प्रबंधन पर बात की गई। इसमें किसानों को बताया गया कि रासायनिक दवाइयां का उपयोग कब व कितनी मात्रा में करनी चाहिए इसकी जानकारी दी गई व इससे होने वाली लाभ व हानियां के बारे में चर्चा की गई।


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