जयसिंह की बलाएं लेकर आशीर्वाद और दुआओं की अविजीत भेंट देने उमड़ रहीं माताएं-बहनें


Video:- जयसिंह अग्रवाल कोरबा के लोगों के लिए सिर्फ एक ऐसा नाम नहीं, जिनकी कद्दावर शख्सियत से प्रभावित हजारों युवा उनके पद चिन्हों पर चलने के लिए तत्पर रहते हैं। बल्कि वे एक ऐसे व्यक्ति भी हैं, जिन्होंने जनहित के अपने अनगिनत काम से क्षेत्र और जिले के लाखों घर-परिवारों में प्यार व भरोसे एक अटूट रिश्ता कायम किया है। इन रिश्तों का कोई एक नाम नहीं, बल्कि भावनाओं की मजबूत नीव पर निर्मित संबंधों की वह श्रृंखला है, जो जनसंपर्क अभियान के दौरान श्री अग्रवाल के हर कार्यक्रम और छोटी-बड़ी जनसभा में यूं ही जुट जाने वाले जन-सैलाब का रूप लेकर स्वस्फूर्त उमड़ पड़ता है। माताएं-बहनें जयसिंह की बलाएं लेकर आशीर्वाद और दुआओं की अनमोल भेंट देने पहुंच जाती हैं। कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल के जनसंपर्क अभियान में प्रतिदिन जुट रही इस भीड़ में जनता की मंशा का अंदाजा लगाया जा सकता है, जिनमें से हर एक में बस यही पुकार, जयसिंह भैया फिर एक बार…,

कोरबा(thevalleygraph.com)। भले ही मतदान की घड़ी अभी दो हफ्ते दूर है, पर कोरबा की जनता तो जैसे पहले ही फैसला कर चुकी है, कि उनका नेता कौन था, कौन है और कौन रहेगा। यह हुंकार कहीं और नहीं, बल्कि कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल के जनसंपर्क अभियान में स्वस्फूर्त जुट रही लोगों की भारी भीड़ में सुनाई दे रही है। जैसे-जैसे यह प्रचार अभियान तेज होता जा रहा है, उस भीड़ में यह गूंज भी तेज होती सुनी जा सकती है कि कल, आज हो या आने वाला कल, भैया जयसिंह ही उनके विधायक हैं और रहेंगे। श्री अग्रवाल जिस गांव-गली और वार्ड में कदम रखते हैं, वहां माताओं-बहनों का जनसैलाब ऐसे उमड़ पड़ता है, जैसे उनके बीच उनका प्रिय भाई, मित्र, लाडला बेटा और घर का सदस्य आया हो। और फिर उस छोटी सी भेंट मुलाकात में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। हर दिल में बस यही पुकार सुनाई देती है कि जयसिंह भैया फिर एक बार कोरबा के विधायक बनकर शेष रह गई उनकी जरूरतों को पूरा करने कमर कस लें और मैदान में जुट जाएं।

कोरबा की जनता के लिए जयसिंह अग्रवाल सिर्फ एक ऐसा नाम नहीं, जिनकी कद्दावर शख्सियत से प्रभावित हजारों युवा उनके पद चिन्हों पर चलने के लिए तत्पर रहते हैं। बल्कि वे एक ऐसे व्यक्ति भी हैं, जिन्होंने जनहित के अपने अनगिनत काम से क्षेत्र और जिले के लाखों घर-परिवारों में प्यार व भरोसे एक अटूट रिश्ता कायम किया है। इन रिश्तों का कोई एक नाम नहीं, बल्कि भावनाओं की मजबूत नीव पर निर्मित संबंधों की वह श्रृंखला है, जो जनसंपर्क अभियान के दौरान श्री अग्रवाल के हर कार्यक्रम और छोटी-बड़ी जनसभा में यूं ही जुट जाने वाले जन-सैलाब का रूप लेकर स्वस्फूर्त उमड़ पड़ता है। जिस-जिस ने जयसिंह अग्रवाल को अपनी आंखों से राजनीति के पथ पर कदम रखते देखा, चलते, दौड़ते और उनके लिए कदम कदम पर लड़ते भी देखा, उनकी मुश्किल को अपना मानकर जूझते, हल करते देखा, उन सबकी जुबान में सिर्फ एक ही कामना सुनाई देती है, कि जयसिंह भैया ही चौथी बार भी हमारे कोरबा विधायक चुनकर एसेंबली जाएंगे।

हर गरीब बहन की यही पुकार, जयसिंह भैया फिर एक बार: सुनीता

शहर से लगे ग्राम खरमोरा की रहने वाली बहन सुनीता का कहना है कि रोजी मजदूरी कर पालन पोषण करते हैं और ऐसे में मकान बनाना तो सपना ही था। पर हमारे भैया जयसिंह अग्रवाल ने इस राखी पर ऐसा उपहार दिया, जिसका मोल नहीं। उन्हीं के प्रयासों का कमाल है, जो अब उनके परिवार के लिए एक ऐसी छत है, जिसका पट्टा दिलाकर उन्हें हक से रहने का अधिकार मिला। इसीलिए सिर्फ मैं ही नहीं, कोरबा की हर गरीब बहन यही चाहती है कि भैया जयसिंह ही फिर एक बार हमारे विधायक बनकर आम आदमी की आवाज बनें।

इस जन समूह में जयसिंह असंख्य बहनों के लिए वर्षो से सुख दुख के साथी रहे बड़े भाई हैं, तो हर मोड़ पर हाथ थामकर साथ साथ बढ़ने वाले सच्चे मित्र भी हैं। इन सबसे बढ़कर वे न जाने कितनी माताओं के लिए दत्तक पुत्र का भी दायित्व निभा रहे हैं, जिनका मजबूत सहारा बनकर हर मुश्किल को खुद पर लिया है और दुख दर्द को दूरकर सौगातों का पिटारा खोल दिया। उनके अपनेपन की झलक जहां अपने लाडले भैया की कलाई पर स्नेह की राखी बांधने पहुंचने वाली अनगिनत बहनों में रक्षाबंधन पर दिखाई देता है, हल षष्ठी पर उन्हें अपने आशीर्वाद का पोता लगाने पहुंचाने वाली माताओं की भावना में भी नजर आता है। इन सबके प्यार और स्नेह का ही असर है, जो आज जयसिंह अग्रवाल प्रचार अभियान में कांग्रेस पार्टी का झंडा लेकर जिस गांव, गली या वार्ड में कदम रखते हैं, लोग उस क्षेत्र के निवासी के तौर पर नहीं, बल्कि यह भाव लेकर खुद ब खुद उनके पास पहुंच जाते हैं, कि आज उनके परिवार का बेटा, भाई और दोस्त उनसे मिलने आया है। अपने बीच पहुंचे भैया जयसिंह अग्रवाल की जीत की कामना और ईश्वर से प्रार्थना के साथ बहनें अपने स्नेह व शुभकामनाएं लेकर तो माताएं अपने आशीर्वाद की पोटली लेकर अमूल्य दुआओं की अनमोल भेंट करने पहुंच जाती हैं।

मेरे लिए तो परिवार की भांति सुख दुःख के साथी: रामकुमार
पुरानी बस्ती में रहने वाले रामकुमार का कहना है कि भैया जयसिंह अग्रवाल को उन्होंने स्कूल कॉलेज के दिनों से देखा है। जब वे हमारे बीच आए, ऐसा कभी नहीं लगा कि उनसे कैसे मिलूं या अपनी बात करूं। वे खुद ही भांप लेते और पूछते हैं कि क्या जरूरत है, क्या समस्या है। भला इतना बड़ा मंत्री हम जैसे आम लोगों और गरीबों से ऐसे घुल मिल जाए, हमारी परेशानी को अपना समझकर पलक झपकते सुलझा दे, तो फिर जनता को भला और क्या चाहिए। हमें तो अपने कोरबा के लिए विधायक रूप में सिर्फ इस बार ही नहीं, बल्कि हर बार जयसिंह अग्रवाल ही चाहिए।


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