“हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, पर Sir हमें पढ़ना नहीं आता है” ….क्लासरूम के ब्लैक बोर्ड में लिखे वाक्य को देखकर भी नहीं पढ़ सके 6वीं के बच्चे


वीडियो में देखें स्कूल के बच्चों और शिक्षकों के अध्ययन-अध्यापन की दशा…शासकीय प्राथमिक व मिडिल स्कूल मुढ़ाली में शिक्षा व्यवस्था का शाला समिति के अध्यक्ष ने निरीक्षण कर जाना हाल, शिक्षकों की लापरवाही भी उजागर। नियमित कक्षाएं लेने की बजाय नदारद रहते हैं स्कूल के शिक्षक।

कोरबा(thevalleygraph.com)। कुछ दशक पहले की बात करें तो सरकारी स्कूलों में हिंदी वर्णमाला की शुरुआत कक्षा पहली तो अब के दौर में आंगनबाड़ी से ही हो जाती है। तीसरी-चौथी व पांचवीं कक्षा तक बच्चे हिंदी के वाक्य पढ़ना, लिखना, गणित में जोड़-घटाव हल कर लेना सीख जाते हैं। पर ग्राम मुढ़ाली में संचालित मिडिल स्कूल में बच्चों की शिक्षा कखग और बारह खड़ी पर ही अटकी है। तभी तो यहां के बच्चे लिखना तो दूर किसी वाक्य को देखकर भी पढ़ नहीं पाते। कुछ ऐसी ही दशा उस वक्त निर्मित हुई, जब शाला समिति ने यहां औचक निरीक्षण किया। कक्षा छठवीं के एक बच्चे को सामने ब्लैक बोर्ड पर लिखे वाक्य- हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है को पढ़ने कहा गया, पर वह नहीं पढ़ सका। शिक्षकों की घोर लापरवाही से शिक्षा विभाग को अवगत कराते हुए समिति ने उचित कार्यवाही की मांग की है।

सोमवार को ग्राम मुढ़ाली में संचालित शासकीय प्रायमरी व मिडिल स्कूल का शाला समिति के अध्यक्ष श्रवणकुमार के नेतृत्व में औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में यह पाया गया, कि पहली से आठवीं तक की कक्षा के विद्यार्थियों के शिक्षा का स्तर काफी कमजोरी है। स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को न जोड़-घटाव तो दूर किसी को ठीक से लिखना-पढ़ना तक नहीं आता। स्कूल में अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था काफी बदहाल है, जिसमें यहां शिक्षकों की घोर लापरवाही उजागर हो रही है। सोमवार को जब समिति के पदाधिकारियोें ने स्कूल का निरीक्षण किया तो यह भी पाया कि यहां कोई भी टीचर प्रार्थना में नहीं पहुंचा था। बच्चों ने स्वयं से प्रार्थना की और उन्होंने बताया कि यह पहला दिन नहीं, बल्कि ऐसा कई बार हो चुका है। छठवीं कक्षा के एक बच्चे से पूछा गया तो, वह सामने ब्लैक बोर्ड पर पहले से ही लिखे हुए एक वाक्य (हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है) को भी पढ़कर नहीं सुना सका। इतने सरल से सामने लिखे वाक्य को भी एक छठवीं कक्षा के बच्चे का नहीं पढ़ पाना, ग्राम मुढ़ाली के सरकारी स्कूल की शिक्षा के स्तर की दुर्दशा बयां करने के लिए काफी है। इससे सहज ही जाना जा सकता है कि इन संस्थाओं में शिक्षा का स्तर किस कदर गिरा हुआ है। उन्होंने बताया कि मुढ़ाली मिडिल में तीन शिक्षक हैं, जिसमें एक बीएलओ की ड्यूटी कर रहा है। प्राइमरी में तो पर्याप्त चार शिक्षक हैं। पर दोनों ही स्कूलों में शिक्षक नियमित रूप से बच्चों को पढ़ाने नहीं आते हैं।

31 दिन का जुलाई, दो दिन आए संस्कृत शिक्षक, अभी पहला पाठ भी अप्रारंभ
समिति के अध्यक्ष श्रवण कुमार ने इस संबंध में बच्चों से जानकारी ली। शासकीय मिडिल स्कूल के बच्चों का यह कहना था कि उनके शिक्षक अपने निर्धारित कालखंड में प्रतिदिन कक्षाएं लेकर पढ़ाना तो दूर, नियमित रूप से स्कूल ही नहीं आते। स्कूल में किसी भी दिन दो विषय से ज्यादा नहीं पढ़ाया जाता। बच्चों मिली जानकारी के अनुसार समिति के अध्यक्ष श्रवण कुमार ने बताया कि खासकर स्कूल में पदस्थ एक शिक्षक, जो ग्राम मुढ़ाली के ही हैं, उनके द्वारा संस्कृत विषय पढ़ाया जाता है, इन्होंने अभी तक प्रथम अध्याय तक शुरू नहीं कराया है। बच्चों का कहना है कि यह शिक्षक इस माह अब तक एक से 30 जुलाई के बीच मात्र 2 दिन पढ़ाने आए।

हर रोज सिर्फ आलू, अचार-पापड़ कभी देखा ही नहीं
समिति के पदाधिकारियोें का यह भी कहना है कि बच्चों की इस दशा के पीछे यहां के शिक्षकों की यह घोर लापरवाही उजागर होती है। उनका यह भी कहना था कि बच्चों की अच्छी सेहत और नियमित स्कूल आने की आदत विकसित करने मध्यान्ह भोजन योजना संचालित होती है। पर इसमें भी गड़बड़ी पाई गई। स्कूल के बच्चों ने बताया कि उन्हें निर्धारित मेन्यू के हिसाब से भोजन नही दिया जाता है। प्रतिदिन सिर्फ आलू की सब्जी ही परोस दी जाती है, जबकि नियमानुसार बच्चों की थाली में प्रतिदिन अचार और पापड़ सप्ताह में दो बार देना है । पर यहां के बच्चों ने मध्यान्ह भोजन में अचार-पापड़ आज तक नहीं देखा है। इस निरीक्षण के दौरान मानवाधिकार एसोसिएशन जिला प्रमुख कोरबा अमरगांधी राठौर, उपसरपंच मनीराम कश्यप, अमित दास महंत, रामदुलार कश्यप, जितेंद्र राठौर, अजय राठौर भी मौजूद रहे।

खिड़की-दरवाजे में करंट, बच्चों को खतरे में डाल गायब रहते हैं शिक्षक
इस निरीक्षण कार्यवाही में समिति के समक्ष एक और गंभीर बात सामने आई। उन्होंने देखा कि शासकीय मिडिल स्कूल के खिड़की-दरवाजे में करंट प्रवाहित हो रहा था। इस तरह का बड़ा व जानलेवा खतरा होने के बाद भी यहां के शिक्षकों द्वारा बच्चों की सुरक्षा को लेकर न सुधार करने की कोई पहल की गई और न ही किसी प्रकार का फौरी कदम उठाया गया। इस तरह से अक्सर नदारद रहने वाले शिक्षकों की अनुपस्थिति में बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर भगवान भरोसे अध्ययन-अध्यापन करने विवश हैं। इस तरह से स्कूल का संचालन बच्चों के लिए जानलेवा दुर्घटना का कारण बन सकता है। समिति की ओर से जल्द से जल्द स्थिति में सुधार लाए जाए व बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा-दीक्षा को बेहतर करने की गुजारिश शिक्षा विभाग से की गई है।

वर्जन
“सोमवार को प्राथमिक शाला व माध्यमिक शाला मुढ़ाली का निरीक्षण किया गया, जिसमें वहां के छात्र-छात्राओं की शिक्षा का स्तर काफी ज्यादा कमजोर मिला। छठवीं का बच्चा भी सामने बोर्ड में लिखा एक वाक्य भी नहीं पढ़ पाया। बच्चों से इसका कारण पूछा तो उनका कहना था कि शिक्षक नियमित रूप से कक्षा भी नहीं लेते हैं। इस संबंध में बीईओ को अवगत कराते हुए सुधार के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया गया है।”
श्रवण कुमार कश्यप, अध्यक्ष शाला प्रबंधन समिति, मुढ़ाली

वर्जन
“शाला प्रबंधन समिति अपने स्कूल की व्यवस्था और वहां अध्ययनरत बच्चों की बेहतर शिक्षा-दीक्षा सुनिश्चित करने अहम भूमिका निभा सकते हैं। इस मामले में संबंधि बीईओ से जानकारी ली जाएगी। जांच भी होगी और अगर वहां शिक्षा की गुणवत्ता, अध्ययन-अध्यापन को लेकर लापरवाही हो रही है, तो कार्रवाई भी की जाएगी।”
जीपी भारद्वाज, जिला शिक्षा अधिकारी


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *