जिले की चार विधानसभा क्षेत्रों में 1 लाख 22 हजार 707 किसान परिवार मतदान में बनेंगे भागीदार, सार्वजनिक व निजी उपक्रमों और नौकरीपेशा भी गांव में खेती से जुड़े।
कोरबा(theValleygraph.com)। पांच साल पीछे मुड़कर देखें, तो सत्ता परिवर्तन की बयार में किसान बंधु सबसे बड़े भागीदार बनें थे। कोरबा जिले को इस फैक्टर से जोड़कर देखें, तो चारों विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर 53 प्रतिशत से अधिक किसान मतदाता हैं। वे लोकतंत्र के इस महासमर में जीत की उम्मीद लिए मैदान में उतरे उम्मीदवारों के लिए भाग्य विधाता की भूमिका में नजर आ रहे हैं। जिले में किसानों की संख्या एक लाख 22 हजार से अधिक है। अगर यह माना जाए कि हर परिवार में चार वोटर होंगे, तो इस दृष्टि से कुल 9 लाख 20 हजार में आधे से अधिक कृषि आश्रित मतदाता चुनाव का रुख बदल देने काफी हैं।
जिले में विधानसभा निर्वाचन 2023 की तैयारी अंतिम चरण में है। इस चुनाव में कोरबा जिले में कुल नौ लाख 20 हजार 85 मतदाता अपना वोट डालेंगे। लोकतंत्र के इस महापर्व में कोरबा जिले के किसान परिवारों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस वर्ष ताजा खरीफ सीजन में कुल 50 हजार 912 किसानों ने धान खरीदी के लिए पंजीयन कराया है। इनके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे छोटे किसान भी हैं, जिनका रकबा कम है। कोरबा विधानसभा क्षेत्र में विशुद्ध गैर कृषि परिवारों की संख्या कम है और नौकरीपेशा, व्यवसाई, ट्रांसपोर्टर अधिक हैं। इसके बाद भी एसईसीएल, एनटीपीसी के भूविस्थापित, जमीन के बदले नौकरी पाने वाले भी मूल रूप से कृषक परिवार से ही जुड़े हुए हैं और नौकरी के साथ साथ आज भी अपने गांव में खेती करते हैं। सीएसईबी और बालको के अलावा अन्य निजी उपक्रमों के कर्मी या ठेकाकर्मी भी बड़ी संख्या में कृषि से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें इन आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनावों में मतदान के लिए 50 प्रतिशत से अधिक मतदाता के रूप में किसानों का प्रभाव कैसा होगा।
मैदान में उतरे प्रत्याशियों में भी ज्यादातर का व्यवसाय कृषि
विधानसभा निर्वाचन 2023 में अपनी किस्मत आजमाने वाले प्रत्याशियों की संख्या स्पष्ट हो गई है। चारों सीटों पर कुल 51 उम्मीदवार मैदान में है। इन्हीं के बीच चुनावी मुकाबला होगा। इनके द्वारा प्रस्तुत नाम निर्देशन पत्र और शपथ पत्र पर गौर करें तो पता चलता है कि कुछ को छोड़कर ज्यादातर उम्मीदार भी खेती किसानी से ही ताल्लुक रखते हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों से प्रतिनिधित्व कर रहे दिग्गजों से लेकर स्थानीय दल और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपना मूल व्यवसाय या आमदनी का जरिया कृषि को ही बताता है।
2018- अधिक कृषि वाले रामपुर, तानाखार रहे आगे
विधानसभा निर्वाचन 2018 में कोरबा जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों रामपुर, कोरबा, कटघोरा और पाली तानाखार में मतदान का कुल प्रतिशत 78.61 था। इनमें रामपुर और पाली-तानाखार मतदान प्रतिशत में आगे रहा, जहां खेती किसानी में अपेक्षाकृत कोरबा और कटघोरा विधानसभा के किसान अधिक हैं। विधानसभा क्षेत्र रामपुर में 83.37 और पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र में 81.89 प्रतिशत मतदान हुआ था। इधर
कोरबा में 71.56, कटघोरा विधानसभा में 77.65 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। रामपुर विधानसभा में 83.66 पुरुष व 83.38 महिला मतदाताओं ने, कोरबा विधानसभा में 71.19 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं ने जबकि 71.98 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने, कटघोरा विधानसभा अंतर्गत 76.78 पुरुष एवं 78.56 महिला मतदाताओं ने इसी तरह पाली तानाखार विधानसभा में 82.23 पुरुष व 81.54 महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
छह साल में 82 हजार वोटर तो 8 हजार ऋषि किसान भी बढ़े
विधानसभा निर्वाचन 2018 के लिए कोरबा जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों में कुल आठ लाख 37 हजार 571 मतदाता चिन्हित थे। विधानसभा निर्वाचन 2023 में कोरबा जिले से कुल नौ लाख 20 हजार 85 मतदाता चिन्हित हैं। गत विधानसभा चुनाव 2018 की तुलना में इस चुनाव में 82 हजार 514 मतदाता बढ़े हैं। इसके साथ ही बीते छह साल में आठ हजार ऋणी किसान भी बढ़ गए हैं। इसे कर्जमाफी से जोड़ कर देखा जा सकता है। वर्ष 2017-18 में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से 13 हजार 559 किसानों ने लोन लेकर खरीफ फसल लगाया था। वर्ष 2018-19 में ऋणी किसान 16352 हो गए। इसके बाद हर साल ऋणी किसानों की संख्या लगातार इजाफा होता चला गया। वर्ष 2022-23 में 20177 किसानों ने लोन लिया था। अब वर्तमान वर्ष में 21969 किसानों ने लोन लिया है।
फैक्ट फाइल
कुल मतदाता- 920085
मतदाता बढ़े- 82514
पंजीकृत किसान – 50912
किसान बढ़े- 7550
जिले में किसान – 122707
ऋणी किसान – 21969