चुनावी साल में मची होड़, किसानों ने ऋण उठाया 81 करोड़


कर्जमाफी की उम्मीद लिए खरीफ वर्ष 2023-24 में जिले के 23 हजार किसानों ने लिया लोन, बीते वर्ष 20170 थे, इस बार 2 हजार 830 अधिक किसानों ने ले रखा है ऋण।

कोरबा(theValleygraph.com)। चुनावी साल में किसानों में कर्ज माफी की आस में कृषि ऋण लेने की होड़ सी मच गई। पिछले चुनाव में किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था, जिसे सत्ता में आने पर पूरा भी किया गया। इसी उम्मीद में ज्यादातर किसानों ने खरीदी केंद्र जाने की बजाय उपज को संभाले रखा और चुनाव के नतीजे जारी होने तक इंतजार किया। खरीफ वर्ष 2023-24 की बात करें, तो जिले के 23 हजार किसानों को 81 करोड़ रूपये का ऋण वितरण किया गया है। बीते वर्ष 2022-23 में 20177 किसानों ने कृषि लोन लिया था। इस बार 2 हजार 830 अधिक किसानों ने ऋण लिया है।

तय मापदंड के अनुसार धान खरीदी के साथ वसूली की प्रक्रिया भी की जा रही है। औद्योगिक जिला होने के बावजूद जिले में 1.24 लाख किसान खेती कर जीवकोपार्जन करते हैं। इनमें 60 प्रतिशत किसान लघुसीमांत की श्रेणी में आते हैं। यानी उनके पास दो एक एकड़ से भी कम जमीन है। सिंचाई संसाधन नहीं होने के कारण वर्षा आश्रित खेती करते हैं। वन क्षेत्र से घिरे होने की वजह से जिले में कृषि के अनुकूल वर्षा होती है। यही कारण है कि लघु सीमांत किसान ऋण लेकर खेती नहीं करते। जब ऋण लिया ही नहीं तो ऋण माफी का भी सवाल नहीं उठता। 40 प्रतिशत किसान ऐसे हैं, जो ऋण लेकर खेती करते हैं। बहरहाल जिन किसानों ने ऋण लिया है उनसे वसूली धान बिक्री के साथ शुरू हो गई है। धान खरीदी के 36 दिन बीते जाने के बाद 63 उपार्जन केंद्रों में 125512.80 क्विंटल धान की खरीदी हुई है। इसमें से 59190.80 क्विंटल समेत 52.84 उपार्जित धान का उठाव भी कर लिया गया है।

पिछले रविवार यानी 3 दिसंबर को नतीजों के दिन से पहले तक जहां केंद्रों में किसानों का इंतजार करना पड़ रहा था, टोकन लेने कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा था, सोमवार से तेजी दर्ज की गई। एक दिन बाद जहां 602 किसानों ने 27458 क्विंटल का टोकन लिया था, बुधवार को 516 किसानों ने 23 हजार 718 क्विंटल धान बेचने के लिए टोकन लिया था। बुधवार की स्थिति में भी कुदमुरा और कनकी समेत दो केंद्रों में बोहनी नहीं हो सकी। हालांकि सुबह से बारिश होती रही। इससे अधिकांश किसान धान बेचने ही नहीं पहुंचे। तूफान मिचौंग की वजह से मौसम में अप्रत्याशित बदलाव आ गया है। इसके कारण बुधवार को भी रुक-रुक कर दिन-भर हल्की बारिश होती रही और आसमान में बदली छाई रही। इससे एक बार फिर धान खरीदी की गति प्रभावित हो रही है। पहले किसानों ने चुनावी नतीजों को परखने नई सरकार बनने का इंतजार किया और अब मौसम बदलने का इंतजार करते वे दिखाई दे रहे हैं।

धान बेच चुके किसानों को मिलेगी अंतर की राशि

बीते वर्ष में तय की गई कीमत 2,500 रूपये प्रति क्विंटल के दर धान की खरीदी हो रही थी। नई सरकार ने 3,100 रूपये में धान लेना स्वीकार किया है। यह भी कहा गया है कि जिन किसानों ने धान की बिक्री कर ली है, उसके अंतर की राशि 700 रूपये उनके खाते में प्रदान की जाएगा। पूर्ववर्ती सरकार ने भले ही धान की कीमत पिछली बार 1,800 रूपये से बढ़ाकर 2,500 रूपये किया था, लेकिन अंतर की राशि किश्त में दी जा रही। भाजपा धान खरीदी की राशि को एकमुश्त देने का वादा किया है। जिले में इस बार शासन ने 25 लाख क्विंटल धान बिक्री का लक्ष्य तय किया है। अनुकूल मौसम और कीमत में हुई वृद्धि से धान खरीदी की मात्रा लक्ष्य से पार होने की संभावना बढ़ गई है। इस की दूसरी वजह यह भी है कि नए खरीफ वर्ष 5,356 नए किसानों ने पंजीयन कराया है।

7 साल में 10 हजार ऋणी किसान बढ़ गए

सात साल पहले वर्ष 2017-18 में जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक से 13 हजार 559 किसानों ने लोन लेकर खरीफ फसल लगाया था। वर्ष 2018-19 में ऋणी किसान 16352 हो गए। इसके बाद हर साल ऋणी किसानों की संख्या लगातार इजाफा होता चला गया। वर्ष 2022-23 में 20177 किसानों ने लोन लिया था। अब वर्तमान खरीफ वर्ष 2023-24 के लिए जिले के 23 हजार किसानों को 81 करोड़ रूपये का ऋण वितरण किया गया है। इस तरह इन सात सालों में ऋण लेने वाले किसानों की संख्या दस हजार से ज्यादा बढ़ गई है।

5 साल में ऐसे बढ़ी किसानों की संख्या व खरीदी

वर्ष- किसान- खरीदी (क्विं. में)

2017-18- 22444- 977874

2018-19- 23774- 129723

2019-20- 27695- 988069

2020-21- 32591- 1352710

2021-22- 40537- 1702514

2022-23- 45158- 21.65 लाख


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