कका तो गइस…महू बिहान ले बिचारत हों इमान, गोठान के अब का हो ही मितान


गांव के गोठ:- सरकार में बदलाव के साथ योजना से जुड़े ग्रामीणों में चिंता, गरूआ घुरआ नारवा और बारी, क्या बने रहेंगे गांव के चिन्हारी। समूह से जुड़ी कई महिलाओं के लिए गुजर का प्रमुख साधन बन चुके हैं गौठान।

कांग्रेस की सरकार तो चली गई पर पूर्ववर्ती शासन के सपनों की योजना नारवा गरुआ घुरआ बारी पीछे रह गई है। अब इस योजना और गौठान से जुड़कर अपना जीवन स्तर बेहतर बनाने में जद्दोजहद कर रहे ग्रामीण असमंजस में पड़ गए हैं। वे सोच में हैं कि नई सरकार गौठनों को निर्बाध संचालित रहने देगी या कोई ऐसा फैसला लेगी, जिससे उनकी आजीविका की ये उम्मीद बनी रहे।


रायपुर(theValleygraph.com)। सरकार बदल गई है और इसके साथ ही संभव है कि पुरानी परंपरा पर चलते हुए कई योजनाएं बंद कर दी जाएं या उनका स्वरूप परिवर्तित हो। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी योजना नारवा गरुआ, घूरवा बारी भी उन्हीं में एक है। हालांकि अब तक इसे लेकर कोई नया निर्देश नहीं है और जीतने भी सक्रिय गोठान हैं, वे अब भी पहले की तरह ही संचालित किए जा रहे हैं। गोठान से अपनी आजीविका चला रहे ग्रामीणों का कहना है कि बड़े परिश्रम से इसे संजोया गया है। उम्मीद है कि आम लोगों की जिंदगी से जुड़ चुके गोठनों को बंद नहीं किया जाएगा। हालांकि उन्हें इस बात की चिंता भी सताने लगी है कि आगे उनके गोठानों का क्या होगा। किसी ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद से गोबर खरीदी बंद है, तो कोई यह कह रहा है कि खेती किसानी का सीजन शुरू होने के बाद से ज्यादातर लोग कृषि कार्य में व्यस्त हो गए। खेतों और फसलों की देखरेख के बाद कटाई, मिंजाई और अब उपज को मंडी ले जाने की दौड़ के बीच गोठान अभी सूने ही पड़े हैं। इन जरूरी कामों से मुक्त होकर एक बार फिर वे अपने गोठान से जुड़ जाएंगे। गांव के सरपंच, पूर्व सरपंचों का यही मत है कि गोबर, गाय, पैरा और घुरवा, बारी तो गांव की पहचान है। इनसे गांव में रहने वाला लगभग हर परिवार अपने दिनचर्या का ज्यादातर समय गाय गोबर से जुड़ा ही रहता है। ऐसे में गोठान से अपने जीवन को बेहतर बनाने में सक्षम बन रहे परिवार और खासकर स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को इससे वंचित न करें, तो बेहतर रहेगा। उनका कहना है कि गोठनो के निर्बाध चलते रहने से किसी को कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन उन्हें बंद कर दिए जाने से सैकड़ों परिवार की आस टूट सकती है और कई हाथों से काम भी छिन सकता है। इसलिए उन्हें उम्मीद है कि नई सरकार जो भी निर्णय लेगी, वह आम जनों और गांव गरीब के हित के अनुरूप ही होगा।

जिले में 331 गौठान, ढाई सौ से ज्यादा एक्टिव

विभाग के अनुसार जिले में कुल 331 गौठान संचालित हैं। इनमें से ढाई सौ से अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं, जहां गोबर खरीदी तो की जाती ही रही, आजीविका के कई अन्य गतिविधियां भी संचालित होती रहीं हैं। इनमें माहोरा और चिर्रा जैसे गौठान भी हैं, जहां समूह की महिलाएं दोना पत्तल और मशरूम समेत कई अन्य कारोबार में अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूती देने की कोशिशों में जुटी काफी मेहनत भी कर रहीं हैं।

छोटी छोटी कमाई भी अहम: मिलाप कंवर
खबर के पूर्व सरपंच मिलाप सिंह का कहना है कि गौठान बड़ी संख्या में ग्रामीणों के जीवन लिए महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है। घर के अन्य काम के बाद खास कर समूह की महिलाएं अपना पूरा वक्त वहीं बिताती हैं। इस उम्मीद के साथ कि गोबर की कुछ मात्रा ही सही, थोड़ी आमदनी तो होगी। उनके लिए वह छोटी छोटी रकम भी बहुत मायने रखती है। इसलिए गौठानों को निर्बाध चालू रखना चाहिए। झाबर में एक महिला समूह ही गोठान देख रही है।

लोकहित को देख निर्णय करे अभी खाद बनाने व्यस्त: रमेश सिदार
उमरेली के सरपंच रमेश सिदार का कहना है कि उनके गांव की दो महिला समूह गौठान की देखरेख में जुड़ी हैं। उनके लिए भी उनका गोठान काफी महत्वपूर्ण है। अभी खेती का सीजन था और आचार संहिता लागू होने से गोबर खरीदी बंद थी। पर उनके बनाए खाद, वर्मी कमपोस्ट काफी काम आए। अब एक बार फिर वे तैयारी में जुट गई है। ऐसे में नई सरकार जो भी निर्णय करे, आम ग्रामीणों के हित को देखते हुए करे, यही उम्मीद है।

महोरा में दोना-पत्तल और मशरूम समेत कई काम:- खेमसाय यादव
महोरा गौठान के केयरटेकर खेम साय यादव ने बताया कि उनके गोठान की महिलाएं गोबर खरीदी के साथ दोना पत्तल, मशरूम और इसके साथ कई अन्य कार्य भी कर रहीं हैं। उन्होंने मुनाफा भी कमाया है। उनके लिए गौठान से जुड़े रहना काफी फायदेमंद रहा है और वे आत्मनिर्भरता की और बढ़ रही हैं। ऐसे में गौठान का बंद होना किसी भी सूरत में गांवों के लिए हितकर तो नही माना जा सकता। उन्होंने भी यही उम्मीद की है कि शासन द्वारा इन लोगों की बेहतरी को ध्यान में रखते हुए ही उचित लिया जाएगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *