जिला जेल कोरबा में जिला न्यायाधीश सत्येंद्र कुमार साहू ने 14 फरवरी को औचक निरीक्षण किया, जेल के प्रत्येक बैरक, भोजन कक्ष, दवाखाना की व्यवस्था का जायजा लिया, बंदियों से बातें कर जानी सुविधाएं।
जाने-अनजाने में आप जेल में निरूद्ध हो गए। इसका यह अर्थ नहीं है कि आप सभी अपराधी हैं। कुछ गंभीर धारा में तो कुछ छोटी धाराओं में जेल आ जाते हैं। जेल आपको अपने अपराध का पश्चाताप करने का मौका देता है। हम सभी समाज में रहते हैं। एक सभ्य समाज के संचालन के लिए कानून व्यवस्था का होना अति आवश्यक है। कानून व्यवस्था नहीं होगी, तो समाज और व्यवस्था भी जिसकी लाठी उसी की भैंस जैसी हो जाएगी।
कोरबा(thevalleygraph.com)। यह बातें बुधवार को जिला जेल के औचक निरीक्षण पर पहुंचे जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा सत्येन्द्र कुमार साहू ने बंदियों को संबोधित करते हुए कहीं। इस दौरान उन्होंने जेल के प्रत्येक बैरक, भोजन कक्ष, दवाखाना में जाकर दंडित बंदी व अभिरक्षाधीन बंदियों को यहां मिलने वाले सुविधाओं के संबंध में निरीक्षण किया। जेल में निरूद्ध दंडित व विचाराधीन बंदियों को जागरूक करने विधिक जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया गया।
उच्चतम न्यायालय के रिट पिटीशन (इन ह्यूमन कंडिशन इन 1382 प्रिजनर) के संबंध में पारित आदेश के परिपालन में जेल समीक्षा दिवस में किए गए निरीक्षण के दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा प्रताप चन्द्रा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा शीतल निकुंज भी शामिल रहे। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जेल में निरूद्ध दंडित व विचाराधीन बंदियों में जागरूक किए जाने विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन भी किया गया। जिला न्यायाधीश श्री साहू ने कहा कि जाने-अनजाने में आप लोग जेल में निरूद्ध हो गए हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि आप सभी अपराधी हैं। कुछ गंभीर धारा में तो कुछ छोटे मोटे धारा में जेल आ जाते हैं। जेल अपराध का पश्चाताप करने का आपका मौका देता है। हम सभी समाज में रहते हैं। एक सभ्य समाज के संचालन के लिए कानून व्यवस्था का होना अति आवश्यक है। कानून व्यवस्था नहीं होगी, तो समाज और व्यवस्था भी जिसकी लाठी उसी की भैंस जैसी हो जाएगी। यानि जो अधिक ताकतवर होगा, वही राज करेगा। इस तरह तो कमजोर व्यक्तियों के अधिकार का हनन होगा और समाज में अराजकता फैल जाएगी।
अन्वेषण-विचारण की प्रक्रिया जटिल, इसलिए लंबे समय चलते हैं प्रकरण: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा प्रताप चंद्रा
श्री साहू ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई, दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के द्वारा जेल में निरूद्ध अभिरक्षाधीन बंदी व दंडित बंदी की संख्या को देखते हुए उन्हें अधिक से अधिक सुविधा उपलब्ध कराए जाने के संबंध में दिशा-निर्देश समय-समय पर जारी होते है। उन्होंने जेल में बंद बंदियों को समय का सदुपयोग किए जाने प्रेरित किया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीमा प्रताप चन्द्रा ने कहा कि प्रकरण लंबे समय में चलने का कारण यह होता है कि कोई भी प्रकरण में अन्वेषण की प्रक्रिया, विचारण की प्रक्रिया होती है जो कि एक जटिल प्रक्रिया होने के कारण निराकरण नहीं पो पाती है। इस अवसर पर विज्यानंद सिंह, सहायक जेल अधीक्षक कोरबा निरीक्षण के दौरान उपस्थित थे।
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