यूनिवर्स के माप की गणितीय पहेलियां सुलझाने प्रतीक चिन्हों पर रिसर्च, समाधान के नए विकल्प तलाश रहीं श्रद्धा


एकेएस विश्वविद्यालय, सतना (मध्यप्रदेश) में गणित विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुधा अग्रवाल के मार्गदर्शन में श्रद्धा दुबे PHD कर रहीं हैं। वह लेम्डा के बिनाकी मॉडल पर शोध कर रहीं। इसके नौ मॉडल में वह तीसरे मॉडल पर काम कर रही हैं। श्रद्धा ने बताया कि ब्रह्मांड के माप की प्रक्रिया काफी हाइपोथेटिकल होती है, जिस पर वह शोध कर रही हैं।

गणित तो वैसे ही अपने आप में सीमाओं से परे चले जाने का अद्भुत विषय है, जिसमें इस्तेमाल होने वाले प्रतीक चिन्ह भी किसी रहस्य से कम नहीं। इन्हीं में एक पाई भी है, जिसकी डिक्शनरी में फुल स्टॉप ही नहीं। यानी पाई का कोई अंत नहीं है, जिसे एक परिमित बहुपद के रूप में नहीं लिखा जा सकता है। गणित में ऐसी ही पहेलियों पर शोध कर जिले की होनहार रिसर्च स्कॉलर श्रद्धा दुबे पुरानी उलझनों को सुलझाने की नई गणितीय जुगत ढूढ़ने में जुटी हैं। अपनी रिसर्च में वह यूनिवर्स के मेजरमेंट की दिशा में समाधान के नए रास्तों की तलाश कर रहीं हैं।

कोरबा(theValleygraph.com)। श्रद्धा का कहना है कि गणितीय (Mathmatics) मुश्किलों को हल करने के रास्ते की बात करें तो कुछ भी सुनिश्चित नहीं होता, बल्कि लगभग हमेशा ही नई संभावना की खोज व इंतजार बना ही रहता है। इसी कड़ी में वह भी किसी वेल्यू को अपने आॅब्जर्वेशन से पुट कर कुछ नया निकालने और समाधान तक पहुंचने आंकलन के लिए किसी नए और अलग रास्ते का निर्माण करने का प्रयास कर रहीं हैं। शोध छात्रा श्रद्धा दुबे वर्तमान में मध्यप्रदेश में एकेएस विश्वविद्यालय सतना से गणित विभाग में पीएचडी कर रहीं हैं। उनके पिता अधिवक्ता दीपक दुबे सेंट्रल नोटरी हैं और माता श्रीमती सरिता दुबे गृहणी हैं। पुरानी बस्ती में रहने वाली श्रद्धा ने कोसाबाड़ी स्थित निर्मला कॉन्वेंट में स्कूल की पढ़ाई पूर्ण की। उच्च शिक्षा उन्होंने अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर से सबद्ध कमला नेहरू कॉलेज कोरबा से पूरी की। यहां से उन्होंने बीएससी और एमएससी गणित की स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की और अब एकेएस विश्वविद्यालय, सतना (मध्यप्रदेश) में गणित विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुधा अग्रवाल के मार्गदर्शन में डाक्टोरेट कर रहीं हैं। वह लेम्डा के बिनाकी मॉडल पर शोध कर रहीं। इसके नौ मॉडल में वह तीसरे मॉडल पर काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड के माप की प्रक्रिया काफी हाइपोथेटिकल होती है, जिस पर वह शोध कर रही हैं।

निर्माण, चिकित्सा, उड़ान हो या अभियांत्रिकी, गणना में काफी अहम है पाई
श्रद्धा ने कहा कि गणित में पाई सबसे प्रसिद्ध प्रतीकों में से एक है, जिसके भौतिकी, इंजीनियरिंग व सांख्यिकी में कई महत्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं। यह भवन व निर्माण, क्वांटम भौतिकी, संचार, संगीत सिद्धांत, चिकित्सा प्रक्रियाओं, हवाई यात्रा व अंतरिक्ष उड़ान के लिए अधिकांश गणनाओं में उपयोग किया जाता है। आर्यभट्ट की यह खोज भारतीय परम्परा के उच्च मानकों का प्रतीक है। पाई एक महत्वपूर्ण संख्या है जिसका उपयोग गणित और ज्यामिति के कई अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है। पाई के बारे में चमत्कारी तथ्य यह है कि वृत्त का आकार चाहे कितना भी हो, मान नहीं बदलता है, जिससे पाई एक गणितीय स्थिरांक बन जाता है। इसके आकर्षण के अलावा, पाई एक अपरिमेय संख्या भी है जिसका अर्थ है कि इसके दशमलव प्रतिनिधित्व का कोई अंत नहीं है और कोई दोहराव वाला पैटर्न नहीं है।

ऐसा है पाई और लेम्डा के बीच का संबंध
श्रद्धा ने बताया कि पाई और लेम्डा के बीच संबंध पर गौर करें तो गणित में विशेषकर क्षैतिज और अवकलन समीकरणों में, लेम्डा को आइगनवेल्यू बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जो एक विनिमय के रूप में किसी दिए गए वेक्टर के साथ कैसे प्रवृत्ति करता है और उसे दर्शाता है। आइगनवेल्यूज लीनियर परिवर्तनों को समझने में महत्वपूर्ण है और उन्हें लघुरूप समीकरणों का समाधान करके पाया जा सकता है। पाई और लेम्डा के बीच संबंध इस स्थिति में उत्पन्न हो सकता है, जब व्यावसायिक श्रृंखला के चरणों या वृत्तों या आवर्ती फंक्शन्स के समाधानों पर चर्चा करें। इन मामलों में फंक्शन की आवृत्ति या तरंग के साथ संबंधित हो सकता है, जबकि पाई अब भी एक वृत्त की परिधि के अनुपात को प्रदर्शित करने के लिए प्रयुक्त होता है। उदाहरण के लिए, एक आवृत्तीय फंक्शन द्वारा प्रतिनिधित किए जाने वाले एक आवृत्तीय फंक्शन के संदर्भ में, फंक्शन की आवृत्ति से संबंधित हो सकता है, और पाई श्रृंखलाओं के समानांतर श्रृंखलाओं के सीरीज के संख्याओं के सूत्रों की गणना के लिए प्रयुक्त हो सकता है।


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