औपनिवेशिक शासन के दौरान अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून का शासन था, जो औपनिवेशिक साम्राज्य की सुविधा के लिए था, ताकि वे अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकें। इस कानून में कई खामियां थी, जिन्हें बदलने की और आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में इसे और अधिक प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है। संगठित अपराध को रोकने के लिए कानून में संशोधन किया गया है और कानून को अधिक कारगर बनाया गया है। इसके लिए 111 सेक्शन वाले पहले के कानून में लोगों को सजा मिलने की संभावनाएं कम रहती थी। पर नए कानून में ऐसे अपराधी नहीं छूट पाएंगे। हम इस व्यवस्था से दंड से न्याय की ओर जा रहे हैं।
बिलासपुर(theValleygraph.com)। यह बातें न्यायधानी बिलासपुर के पुलिस कप्तान रजनेश सिंह (IPS) ने अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ एवं जिला पुलिस बिलासपुर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित नवीन कानून दंड संहिता से न्याय संहिता की ओर एक दिवसीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि की आसंदी से कहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति आचार्य एडीएन वाजपेयी ने की।
मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक रजनीश सिंह ने अपने प्रेजेंटेशन में बताया कि भारतीय दंड संहिता एक जुलाई 2024 से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में तब्दील हो जाएगा। पूर्व में जो भारतीय दंड संहिता में खामियां थी, उसमें संशोधन कर इसे प्रतिस्थापित किया जा रहा है। इंडियन पेनल कोड में 23 अध्याय और 511 धाराएं थी। अब उनकी जगह 358 धाराएं होगी। औपनिवेशिक शासन के दौरान अंग्रेजों के द्वारा बनाए गए कानून का शासन था, जो औपनिवेशिक साम्राज्य की सुविधा के लिए था, ताकि वे अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सके इस कानून में कई खामियां थी, जिन्हें बदलने की आवश्यकता थी। इस आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में इसे और अधिक प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता है। एसपी श्री सिंह ने अपने प्रेजेंटेशन में बताया संगठित अपराध को रोकने के लिए कानून में संशोधन किया गया है और कानून को अधिक कारगर बनाया गया है। इसके लिए 111 सेक्शन वाले पहले के कानून में लोगों को सजा मिलने की संभावनाएं कम रहती थी। पर नए कानून में ऐसे अपराधी नहीं छूट पाएंगे। साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए भी भारतीय न्याय संहिता में व्यवस्था की गई है। उन्होंने आम जनता से अनजाने फोन कॉल को तुरंत रिएक्ट नहीं करने का भी अपील की। इसमें कानून से अपराधों को रोकने में काफी मदद मिलेगी। हम इस व्यवस्था से दंड से न्याय की ओर जा रहे हैं। जिसमें भारत के जरूरतमंदों को न्याय मिलेगा और अपराधियों को दंड मिलेगा इस व्यवस्था से हम ऑनलाइन FIR भी कर सकते हैं और जियो FIR भी कर सकते हैं। इसमें टेरर एक्ट को भी डिफाइन किया गया है, जिसमें भारत की संप्रभुता और एकता को चोट पहुंचाने वालों पर राजद्रोह का केस भी दर्ज होगा। अपराधों के अन्वेषण में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को महत्वपूर्ण साक्ष्य मान गया है और उसकी विश्वसनीयता को स्वीकार किया गया है। माब लीचिंग और चैन स्नैचिंग जैसे अपराध को रोकने के लिए भी प्रावधान किया गया है। इसी तरह अनाचार से पीड़ित महिला के प्रकरण की सुनवाई में महिला मजिस्ट्रेट का होना अनिवार्य होगा और उसके उपस्थिति में ही सुनवाई होगी। इसका प्रावधान किया गया है।
महिला प्रताड़ना शब्द को भी भारतीय संहिता में परिभाषित किया गया है, धारा 210 के तहत लैंगिक समानता के अंतर्गत तृतीय लिंग को भी डिफाइन किया गया है, 12 साल सेकम उम्र के बच्ची के साथ क्राइम होता है तो उसमें मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए 3 वर्ष से कम सजा वाले अपराध हो तो उन्हें डीएसपी रैंक के अधिकारी की अनुमति से जमानत का भी प्रावधान रखा गया है। अपराध की कमाई से अर्जित की गई संपत्ति को कुर्की करने का भी प्रावधान किया गया है और साक्षी सुरक्षा योजना के अंतर्गत गवाहों की सुरक्षा के लिए भी पुलिस अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है डॉक्टरी मुलाहिजा के लिए डॉक्टर को सात दिवस के अंतर्गत मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को देना होगा इसका भी प्रावधान किया गया है। कुछ अपराधों में सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस का भी प्रावधान किया गया है। अपराधी से आवश्यकता पड़ने पर वॉइस सेंपलिंग लेने की भी अनुमति पुलिस को दी गई है। इस तरह से ऐसे बहुत सारे प्रावधानों को भारतीय न्याय संहिता में लाकर भारत के न्याय क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाया गया है और इसका लाभ देश की जनता को मिलेगा।
भारत संवाद में विश्वास रखता है, राष्ट्र हित में न्याय प्रक्रिया में संशोधन होना चाहिए : आचार्य ADN वाजपेयी
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति एडीएन आचार्य वाजपेयी ने कहा कि भारत ने वर्षों में सुदृढ़ता प्राप्त की और प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ा है। चंद्रमा पर चंद्रयान भेजने की उपलब्धि हासिल की है। भारत ने यह उपलब्धि लोकतंत्र को जीवित रखते हुए प्राप्त की है। भारत संवाद में विश्वास रखता है। राष्ट्रीय हित में न्याय प्रक्रिया में संशोधन होना चाहिए यही समय की मांग है। लोकतंत्र में लोक महत्वपूर्ण होता है। समय के रहते परिवर्तन होना चाहिए। सन 1947 से पहले और उसके बाद की परिस्थितियां अलग-अलग हैं तथा उसमें परिवर्तन की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डॉ मनोज सिन्हा ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ शैलेंद्र दुबे, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा एचएस होता, सुमोना भट्टाचार्य, तारबाहर थाना प्रभारी गोपाल सतपथी, बिलासपुर जिले के तहसीलदार ओम प्रकाश चंद्रवंशी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक जसवंत पटेल जितेंद्र यादव रश्मि यादव गौरव साहू और विभिन्न महाविद्यालय से आए हुए शोधार्थी डीपी लॉ कॉलेज विधि के छात्र विश्वविद्यालय शिक्षक विभाग के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
नवीन कानून दंड संहिता में खास बातें
0 सेक्शन 111 वाले पहले के कानून में लोगों को सजा मिलने की संभावनाएं कम रहती थी। पर नए कानून में ऐसे अपराधी नहीं छूट पाएंगे।
0 नए कानून में अपराधी नहीं छूट पाएंगे।
0 साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए भी भारतीय न्याय संहिता में व्यवस्था की गई है।
0 भारत के जरूरतमंदों को न्याय मिलेगा और अपराधियों को दंड मिलेगा।
0 इस व्यवस्था से हम ऑनलाइन FIR भी कर सकते हैं और जियो FIR भी कर सकते हैं।
0 टेरर एक्ट को भी डिफाइन किया गया है, जिसमें भारत की संप्रभुता और एकता को चोट पहुंचाने वालों पर राजद्रोह का केस भी दर्ज होगा।
0 अपराधों के अन्वेषण में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को महत्वपूर्ण साक्ष्य मान उसकी विश्वसनीयता को स्वीकार किया गया है।
0 माब लीचिंग और चैन स्नैचिंग जैसे अपराध को रोकने के लिए भी प्रावधान।
0 अनाचार से पीड़ित के प्रकरण की सुनवाई में महिला मजिस्ट्रेट का होना अनिवार्य होगा।
0 महिला प्रताड़ना शब्द को भी भारतीय संहिता में परिभाषित किया गया है।
0 धारा 210 के तहत लैंगिक समानता के अंतर्गत तृतीय लिंग को भी डिफाइन किया गया है।
0 12 साल से कम उम्र के बच्ची के साथ क्राइम होता है तो उसमें मौत की सजा का भी प्रावधान।
0 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए 3 वर्ष से कम सजा वाले अपराध हों, तो उन्हें डीएसपी रैंक के अधिकारी की अनुमति से जमानत का भी प्रावधान।
0 अपराध की कमाई से अर्जित की गई संपत्ति को कुर्की करने का भी प्रावधान।
0 साक्षी सुरक्षा योजना के अंतर्गत गवाहों की सुरक्षा का इंतजाम।
0 मुलाहिजा के लिए डॉक्टर को 7 दिन के भीतर मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को देना होगा।
0 कुछ अपराधों में सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस का भी प्रावधान किया गया है।
0 अपराधी से आवश्यकता पड़ने पर वॉइस सेंपलिंग लेने की भी अनुमति पुलिस को दी गई है।