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बीएससी फर्स्ट ईयर का कोई स्टूडेंट अगर आगे चलकर सिविल सर्विस में जाना चाहता है, तो हो सकता है वह प्रथम सेमेस्टर में हिस्ट्री पढ़ ले, सेकेंड सेमेस्टर में पाॅलिटिकल साइंस पढ़ ले और थर्ड सेमेस्टर में इकोनाॅमिक्स पढ़ ले और इकोनाॅमिक्स का बच्चा फस्र्ट सेमेस्टर में गणित लेकर पढ़े, क्योंकि दोनों मिलते-जुलते कोर्स हैं। New education policy में विषय चयन को लेकर जो व्यवस्था दी गई है, उस पर गौर करें स्टूडेंट एक जेनरिक इलेक्टिव लेना ही है और वह दूसरी फैकल्टी के विषय भी चुन सकता है। विज्ञान का स्टूडेंट कुछ पेपर बीएससी का लेगा, बीएससी वाला बीए और बीए का स्टूडेंट बीकाॅम के कुछ पेपर चुन सकता है। पर ये केवल उसकी इच्छा पर नहीं, बल्कि यह अनिवार्य है, कौन सा लेगा, बस इस पर सोचना है। इस तरह मल्टिपल फैकल्टी इनवाॅल्व है।
कोरबा(thevalleygraph.com)। कमला नेहरु काॅलेज में बुधवार को नई शिक्षा नीति (NEP) पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। राज्य स्तर पर प्रशिक्षिक मास्टर ट्रेनर व शासकीय ईवीपीजी काॅलेज में वनस्पतिशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डाॅ संदीप शुक्ला ने इस कार्यशाला में काॅलेज के प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापकों को मार्गदर्शन प्रदान किया। एनईपी को लेकर उनके मन में चल रही जिज्ञासाओं का समाधान किया। डाॅ शुक्ला ने बताया कि फस्र्ट सेमेस्टर से लेकर आठवें सेमेस्टर तक शासन की वेबसाइट पर सारा कॅरिकुलम अपलोड कर दिया गया है। जितने भी पेपर है, वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, अगर चाहें तो उन्हें जरुरत अनुसार डाउनलोड किया जा सकता है। सारे कोर्स लर्निंग आउटकम के आधार पर तय किए गए हैं। सभी का सिलेबस एक ही रहा, पर हर काॅलेज का आउटकम अलग-अलग होता है। इसलिए इस बार सभी के लिए यूनिफाॅर्म यानि एकरुप कॅरिकुलम लागू किया गया है। डाॅ शुक्ला ने बताया कि पहले हम सिलेबस कहा करते थे, पर अब सिलेबस नहीं कहना है, बल्कि इसे कॅरिकुलम कहकर ही एनईपी की गाइडलाइन के अनुरुप काॅलेजों में अध्ययन-अध्यापन संचालित करना है। कमला नेहरु महाविद्यालय के कंप्यूटर लैब में आयोजित इस कार्यशाला में प्रमुख रुप से भूगोल विभागाध्यक्ष अजय मिश्रा, हिंदी विभागाध्यक्ष डाॅ अर्चना सिंह, अर्थशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डाॅ एससी तिवारी, वाणिज्य विभागाध्यक्ष बीके वर्मा, एनईपी प्रभारी डाॅ सुनील तिवारी, कंप्यूटर साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष अनिल राठौर समेत महाविद्यालय के अकादमिक-गैर अकादमिक विभागों से 70 से अधिक कर्मियों ने भाग लिया।
“15 हफ्तों तक अगर कोई प्रोफेसर एक घंटा पढ़ाता है तो वह एक क्रेडिट होता है। जितने भी थ्योरी वाले कोर्स हैं, उनमें चार क्रेडिट यानि कुल 60 घंटे पढ़ाना है। जितने भी प्रैक्टिकल्स हैं, उके लिए एक क्रेडिट यानि 30 घंटे पढ़ाना है।”
– डाॅ संदीपक शुक्ला, सहायक प्राध्यापक, ईवीपीजी कोरबा
किसी स्टूडेंट को एक सेमेस्टर में 20 क्रेडिट अर्न करना है या 20 क्रेडिट पढ़ना है, क्रेडिट अर्जित करने का मतलब उसे पास होना है
एनईपी के तहत जब हम प्रोग्राम की बात करते हैं, तो प्रोग्राम वह है, जिसमें बच्चा एडमिशन लेता है और डिग्री लेकर बाहर निकलता है। यानि बीए, बीएससी और बीकाॅम, यह प्रोग्राम हैं और कोर्स उनके भीतर पढ़ाए जाने वाले पेपर्स हैं। इनमें बाॅटनी, जूलाॅजी, पाॅलिटिकल साइंस, हिस्ट्री-इकोनाॅमिक्स ये सभी पेपर हैं। यही कोर्स क्रेडिट बेस्ड हैं, जो कोर्स करेगा, उसे क्रेडिट मिलेगा। एक सेमेस्टर में किसी स्टूडेंट को एक सेमेस्टर में 20 क्रेडिट अर्न करना है या 20 क्रेडिट पढ़ना है और क्रेडिट अर्जित करने मतलब है, उसे पास होना है। क्रेडिट मिल गया, यानि वह पास होगा। इस तरह प्रत्येक सेमेस्टर में 20-20 क्रेडिट हैं। क्रेडिट का मतलग है, स्टूडेंट को पढ़ाए जाने वाले घंटे। थ्योरी के लिए एक क्रेडिट का मतलब होता है 15 घंटे और प्रैक्टिकल में एक क्रेडिट का मतलब होता है 30 घंटे। इससे सहूलियत यह मिलेगी कि प्राध्यापक को हर पेपर सप्ताह के छह दिन नहीं पढ़ाना है। जो पेपर बिना प्रैक्टिकल के हैं, उनका अध्यापन कार्य सप्ताह में चार दिन ही होगा। प्रैक्टिल वाले पेपर्स की थ्योरी क्लास तीन दिन ही होगी और एक या दो दिन प्रैक्टिकल क्लास करेंगे। इस तरह हर सेमेस्टर में 20 क्रेडिट होंगे और एक साल स्टूडेंट को 40 क्रेडिट अर्न करने हैं यानि पास होना है। चार साल में कुल 160 क्रेडिट होते हैं।
कभी भी एक्जिट, कभी भी एंट्री, पर शर्त सिर्फ ये कि 7 साल ज्यादा देर न हो
New education policy के अंतर्गत पूरे प्रदेश में क्रेडिट सिस्टम भी लागू किया गया है। आटोनाॅमस काॅलेजों में पहले से ही था, यह पहली बार है जो संबद्ध काॅलेजों में भी लागू कर दिया गया है। च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम में स्टूडेंट क्रेडिट अर्जित करेगा, क्रेडिट अंक कैसे अर्न करेगा, वह समझना होगा। च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम में क्रेडिट अर्न करने की च्वाइस कर सकता है और मल्टिपल एक्जिट व मल्टिपल एंट्री की सुविधा भी होगी। यानि चार साल या आठ सेमेस्टर की अवधि में स्टूडेंट अलग-अलग जगह पर एंट्री-एक्जिट कर सकता है। एक साल में भी कर सकता है, दो या तीन साल में भी कर सकता है और चार साल बाद तो उसका एक्जिट होगा ही। जितनी जगह वह एक्जिट करेगा, उतनी जगह वह एंट्री भी कर सकता है, यह सुविधा स्टूडेंट को मिली है। शर्त केवल एक है कि इस पूरे यूजी (स्नातक) कोर्स की अवधि या ड्यूरेशन सात साल से अधिक नहीं होना चाहिए। एक्जिट होने के बाद अगर अगर 7-8 साल बाद एंट्री करेगा, तो उसे पुनः पहले सेमेस्टर से शुरुआत करनी होगी, चार साल की डिग्री पूर्ण करने के लिए।