अ-हित की मानकर बगावतों पर बिना देर चढ़ाई किए थे आला हुजूर, अब सौदेबाजी और साजिशों की कयामत को शरारत कहेंगे या अक्षम्य कुसूर ?


कैबिनेट मंत्री लखनलाल देवांगन और भाजपा के प्रदेशमंत्री विकास महतो के विरुद्ध साजिश पर आक्रोशित भाजपा पार्षदों ने रविवार की रात पुलिस थाने पहुंचकर खुलकर विरोध दर्ज कराया। यहां तक कि भाजपा के ही पार्षद हितानंद और भाजपा के युवा नेता बद्रीनाथ अग्रवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग भी रखी। पर सवाल यह उठता है कि आखिर हितानंद के लिए भाजपा पार्षदों की यह भड़ास क्या अभी-अभी प्रकट हुई है।

आक्रोशित पार्षदों की बेचैनी से समय-समय पर जाहिर होता रहा है कि आखिर उन्हें हितानंद क्यों नापसंद रहे। दरअसल उनके इन्हीं क्रियाकलापों के कारण भाजपा पार्षदों ने कई बार उनकी खिलाफत की। बतौर नेता प्रतिपक्ष, उनकी संदिग्ध गतिविधियों के चलते भाजपा पार्षदों का विरोध खुलकर जाहिर हुआ था। तब प्रदेश नेतृत्व तक शिकायती पाती भी पेश की गई थी। अब इस आॅडियो कांड के बाद पूरी तरह पोल खुल चुकी है, जिसमें उनके भाजपा और संगठन विरोधी कार्यों को लेकर जमकर नाराजगी देखी जा रही है।


कोरबा। भारतीय जनता पार्टी ने अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अपने ही नेताओं व नेत्रियों को बागी करार देकर पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। अब इस आॅडियो कांड में जनता से निर्वाचित कैबिनेट मंत्री और संगठन द्वारा नियुक्त भाजपा के प्रदेश मंत्री के खिलाफ साजिशी सौदेबाजी सामने आई। बेनकाब बताए जा रहे इस आॅडियोकांड में सत्यता की पुष्टि हो तो एक तरह से इसे सीधे तौर पर कोरबा ही नहीं, प्रदेशस्तर पर संगठन के बड़े कर्णधारों के खिलाफ साजिश करार दिया जा रहा है। सियायी गलियारों में अब यही सवाल बड़ी खामोशी से गूंज रहा है कि अगर अनुशासन टूटा है, तो ऐसे षडयंत्रकारी नेताओं पर जांच या कार्यवाही को लेकर संगठन क्या रुख अपनाता है।



सियासी गलियारों में गूंज रहा खामोश सवाल,
आडियो कांड के खिलाफ कौन सा रंग लाएगा आक्रोशित पार्षदों का बवाल।
पहले भी आती रही संदिग्ध क्रियाकलापों पर हितानंद से खिलाफत की बातें,
खुल चुकी है पोल और साजिशी शरारतें।
बगावत पर तो बिना देर चढ़ाई कर दिए जनाब,
अब इन साजिशों की कयामती शरारत पर आखिर क्या कहेंगे आप।



भारतीय जनता पार्टी में संगठन का सम्मान सर्वोपरि माना जाता है। ऐसे में सामने आए इस आडियो कांड के विस्फोट ने संगठन के आदेश-निर्देश और अनुशासन की कसौटियों को झकझोर कर रख दिया है। इस विस्फोट की गूंज ने अब सियासी गलियारों में खामोश सवालों वह ज्वार उठ रहा है कि अपनों के बीच और अपनों के खिलाफ की साजिशी सौदेबाजी को बेपर्दा करते इस आॅडियोकांड के सामने आने के बाद आखिर हाई कमान का नजरिया किस ओट पर बैठेगा।


 


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