तुलसी साहित्य के अध्ययन के लिए उस दौर की सामाजिक व सांस्कृतिक स्थिति को समझना जरूरी : प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र सिंह


देखिए वीडियो…शासकीय मिनीमाता कन्या कॉलेज में गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर तुलसी साहित्य में नारी विमर्श विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित।

कोरबा(thevalleygraph)। शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय, कोरबा के हिन्दी विभाग द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर मनाई गई। इस अवसर पर तुलसी साहित्य में नारी विमर्श विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता डॉ. दिनेश श्रीवास, सहायक प्राध्यापक हिन्दी, शासकीय ईविपीजी कॉलेज रहे। मुख्य अतिथि मिनीमाता कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र सिंह, विशिष्ट अतिथि प्रो. एके केशरवानी, सहायक प्राध्यापक प्राणीशास्त्र थे।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि , विशिष्ट अतिथि, मुख्य वक्ता, विभागाध्यक्ष व कार्यक्रम संचालक ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तुलसी साहित्य में नारी विमर्श पर डॉ. दिनेश श्रीवास ने कहा कि नारी विमर्श के आलोक में गोस्वामी तुलसीदास के साहित्य पर हमें बिना किसी पूर्वाग्रह के खुले मन से विमर्श करना चाहिए। तुलसीदास ने नारी का जो रूप लिया है, वह युगानुरूप है। यह हमें नहीं भूलना चाहिए और इसे उसी दृष्टि से देखना चाहिए। इस विषय में यह उनकी सीमा कही जा सकती है। लेकिन इससे उनका संपूर्ण साहित्य अप्रासांगिक नहीं हो जाता। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेन्द्र सिंह ने कहा कि तुलसी साहित्य के अध्ययन के लिए यह आवश्यक है कि हम उस भाषा को भी समझें। उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को समझे तभी तुलसी साहित्य की प्रासंगिकता के निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. केशरवानी ने तुलसी साहित्य में शबरी और शिवरीनारायण के संबंध पर अपनी बात रखी। महाविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष संध्या पाण्डेय ने रामचरित मानस जैसे साहित्य की रचना करने वाले तुलसी दास के संघर्ष को याद करते हुए उनके दर्शन को आत्मसात कर जीवन की कठिनाइयों का समाधान किया जा सकता है।

इस अवसर पर बी.ए. अंतिम की छात्रा पूर्णिमा, आरती साहू व पुष्पांजली ने तुलसी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। विभागाध्यक्ष श्रीमती संध्या पाण्डेय की उपस्थिति में कार्यक्रम का सफल संचालन व आभार ज्ञापन डॉ. डेजी कुजूर, सहायक प्राध्यापक, हिन्दी के द्वारा किया गया। अंत में महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से डॉ. दिनेश श्रीवास को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।


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