अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोरबा सुश्री संघपुष्पा भतपहरी ने साझा किए अपने जीवन के अनुभव, पिताजी की इच्छा को लक्ष्य बनाकर हासिल की न्यायाधीश की पदवी
कोरबा(theValleygraph.com)। मेरे पिताजी अधिवक्ता थे। मैंने विधि की शिक्षा प्राप्त कर कुछ वक्त उनके मार्गदर्शन में प्रैक्टिस भी की। उनके विचार थे कि वकालत के प्रोफेशन में महिलाओं के लिए वैसा सम्मान नहीं, जैसा होना चाहिए। वह चाहते थे कि मैं जज बनूं। उनकी इच्छा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर न्यायाधीश का पद हासिल किया। न्याय करने का जो दायित्व मिला है, उसमें हर नया दिन नई चुनौतियों से भरा होता है। उन पर जीत पाना हमारी जिम्मेदारी है। सब कुछ निष्पक्ष होकर करना है। बाधाएं नजरंदाज कर बस न्याय को देखना है। जब हम डायस पर बैठते हैं, तो बाकी सब भूल जाते हैं। जिंदगी की परेशानियां अदालत के बाहर रह जाती हैं। अंदर सिर्फ न्याय के लिए जगह रह जाती है। हम कानून की मदद लेते हैं और हल निकालते हैं। हर दिन हम उस चुनौती को बखूबी जीते हैं। जब कभी अंर्तद्वंद्व होता है, तो कानून ही हमें रास्ता दिखाता है।
यह बातें प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोरबा सुश्री संघपुष्पा भतपहरी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर केंद्रित खास चर्चा में अपने विचार व अनुभव साझा करते हुए कहीं। सुश्री भतपहरी ने कहा कि कॅरियर की जिम्मेदारियों को लेकर मुझे ज्यादा दिक्कतें महसूस नहीं हुई। न्याय की लड़ाई में दो पक्ष होते हैं। एक संतुष्ट होता है एक नहीं। हम दोनों को संतुष्ट नहीं कर सकते हैं। पर जो असंतुष्ट है, वह आगे अपील कर सकता है। उन्हें इसका अधिकार है। जब हम कानून के आधार पर काम करते हैं, तो हमें कोई परेशानियां नहीं आती है। न कोई मानसिक बधाएं आड़े आती हैं और न ही मानसिक प्रभाव न्याय के लिए निर्णय में कोई दखल या खलल डाल सकता है। न्याय के प्रति आस्था है। अपने काम के प्रति समर्पण है। यही हमें उन चुनौतियों का सामना करने और न्याय के लिए प्रतिदिन जीत हासिल करने की शक्ति प्रदान करता है। सुश्री भतपहरी ने कहा कि मेरे लिए जीवन का टर्निंग प्वाइंट तब रहा, जब पिताजी का स्वर्गवास हुआ। उन्होंने कहा था कि वकालत के व्यवसाय में महिलाओं को उतना सम्मान नहीं मिलता, जितना मिलना चाहिए। वे चाहते थे कि अपनी बड़ी बहन की तरह मैं भी न्यायिक सेवा में कदम बढ़ाऊं। उन्हीं की इच्छा को मैंने अपना लक्ष्य बनाया और न्यायाधीश का पद हासिल किया। सुश्री भतपहरी ने बताया कि वर्ष 2003 में पिताजी चले गए। उसी साल छत्तीसगढ़ में पीएससी से पहली बार न्यायिक सेवा भर्ती परीक्षा हुई। वर्ष 2004 में चयन हुआ और मैंने छत्तीसगढ़ की मेरिट लिस्ट में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। सिविल जज व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 बनी। वर्ष 2014 से मैं उच्च न्यायिक सेवा में हूं। डिपार्टमेंटल एग्जाम के जरिए जम्प प्रमोशन पर मैंने पदोन्नति पाई। आगामी वर्षों में मुझे सुपर टाइम्स स्केल भी प्राप्त हो जाएगा।
“न्याय के लिए 20 बरस से अदालत की हर चुनौती जीत रहीं योर ऑनर”
मैं चाहती हूं, सीजेआई के पद पर भी महिला काबिज हो, और यह होकर रहेगा
सुश्री भतपहरी ने बताया कि इस वर्ष की हमारी थीम है, महिलाओं पर आप निवेश करें और प्रगति को अग्रसर करें। हम सब बहुत सौभाग्यशाली हैं, जो वर्तमान में देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं। पहले भी राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पदों पर महिलाएं रहीं। मेरी इच्छा है कि आगामी समय में चीफ जस्टिस आफ इंडिया (CJI) के गौरवशाली पद पर भी महिला काबिज हो और मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह होकर रहेगा। उन्होंने कहा कि 40 प्रतिशत महिलाएं विकसित व सक्षम हैं। फिर भी समाज में महिलाओं की बड़ी संख्या आज भी खुद को कमतर समझती हैं जिन्हें आगे बढ़ाने व्यापक प्रयास की जरूरत है। समाज और परिवार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है।पांच बहनों में दो न्यायाधीश और दो प्रोफेसर…अपराधियों से लड़ने हर बेटी आत्मसक्षम बने, स्कूल में आत्मरक्षा की शिक्षा मिले
सुश्री भतपहरी ने कहा कि देश की हर महिला व युवती को अपराध व अपराधियों से खुद निपटने में सक्षम करने की जरूर है। इसके लिए स्कूल में भी आत्मरक्षा की शिक्षा को अनिवार्य रूप से जोड़ने की जरूरत है। ताकि वे खुद की रक्षा के लिए आत्मसक्षम बन सकें। फांसी व आजीवन कारावास की सजा समेत अदालतों में अनगिनत फैसले सुना चुकीं सुश्री भतपहरी ने बताया कि मां श्रीमती हीरादेवी व पिता स्व. मनोहर लाल भतपहरी की प्रेरणा से वह आज इस मुकाम पर हैं। सात भाई-बहनों में पांच बहनें हैं और पांचों जॉब पर हैं। इनमें बड़ी बहन श्रीमती मीना बंजारे रिटायर्ड प्रोफेसर (समाजशास्त्र) हैं। सुश्री संघमित्रा भतपहरी एलआईसी में हैं। सुश्री संघरत्ना भी एडीजे स्पेशल जज एनडीपीसी जगदलपुर हैं। इसके बाद स्वयं सुश्री संघपुष्पा भतपहरी कोरबा में पदस्थ हैं और उनसे छोटी बहन डॉ गौतमी भतपहरी (साइकोलॉजी) भी डिग्री गर्ल्स कॉलेज रायपुर में प्रोफेसर हैं।