एक ही दिन में वात्सल्य की किलकारी से गूंजे चार घरों के आंगन


12 घंटे में चार सफल-सुरक्षित प्रसव, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लेमरू ने बनाया कीर्तिमान

कोरबा(thevalleygraph.com)। सुदूर वनांचल के चार गांव उस वक्त खुशियों से भर गए, जब यहां रहने वाले चार परिवारों आंगन एक ही दिन वात्सल्य की किलकारियों से गूंजने लगे। यह सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सा टीम ने कर दिखाया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेमरू ने यह अनोखा कीर्तिमान बनाया है, जिसमें 12 घंटे के भीतर संस्थागत चार प्रसव सुरक्षित व सफलतापूर्वक किए गए।
इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि सुदूर वनांचल क्षेत्र में अवस्थित लेमरू का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आस-पास के 25 से अधिक ग्राम पंचायतों के लिए वनवासियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। यह स्वास्थ्य केन्द्र नित नई उपलब्धियों और सफलताओं के कीर्तिमान गढ़ते जा रहा है। इस सफलता और कीर्तिमानों में एक नई उपलब्धि गत रात जुड़ गई, जब एक ही दिन यहां चार प्रसव कराया गया। इसमें एक प्रसव के लिए प्रसव पीड़ा के साथ सुदूर क्षेत्र चिरईझुंझ से आई गर्भवती का प्रसव भोर में 3 बजे कराया गया। इसके तत्काल बाद सुबह 7 बजे कोसमहुआ से आई प्रसूता, फिर दोपहर एक बजे काटांद्वारी से और शाम 5 बजे साखो से आए केस का सुरक्षित प्रसव कराया गया। इन सभी प्रसव का संपादन सुरक्षित और जोखिम रहित कराने मे श्रीमती आर बी.गौतम (आरएमए) रूपा, मंजूरानी, मीता और सिलेना की टीम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस प्रकार चारों परिवार में बच्चो की किलकारी गूंज सकी और लोगों को खुशियां मनाने का अवसर मिला।

चिरईझुंझ के दुर्गम रास्तों से पैदल अरसेना आई गर्भवती
इसमें कठिनाई की एक बात यह रही कि चिरईझुंझ जैसे दुर्गम जगह में किसी भी प्रकार का साधन न मिलने और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण इनमें से एक गर्भवती महिला को इतने दूरस्थ गांव से तड़पते हुए पैदल ही आना पड़ा था। वह बड़ी मुश्किल से अरसेना पहुंच पाई। जिसे अरसेना से लेमरू स्वास्थ्य केन्द्र तक पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा अपने वाहन से पहुंचाया गया। इस पर कर्तव्य निष्ठ अधिकारियों को मानवता और संवेदना के साथ ध्यान देने की जरूरत है। संजीवनी 102 वाहन की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में सार्थक प्रयास करने की जरूरत है।


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