घर से दूर कठिन परिस्थतियों में रोज 16 घंटे पढ़ाई कर कुशाग्र ने हासिल की डाटा साइंस में बीटेक की उपाधि


आईआईटी मंडी में बीते दिनों हुए दीक्षांत समारोह में जिले के युवा विद्यार्थी ने बढ़ाया मान
कोरबा(thevalleygraph.com)। मनचाहे कॅरियर की ख्वाहिश तो हर किसी को होती है, पर मंजिल उसी को मिलती है, जो उसके लिए राह में आने वाली हर अड़चन को एक और सीढ़ी मानकर मुस्कुराते हुए पार करता चला जाता है। जिले के होनहार युवा कुशाग्र राठौर में भी कुछ ऐसा ही हुनर है, जिन्होंने घर-परिवार से दूर रहकर न केवल कठिन परिस्थितियों को बर्दाश्त किया, बल्कि 14 से 16 घंटे प्रतिदिन अपने अध्ययन में जुटे रहे। आखिरकार उन्होंने सफलता पाई और डाटा साइंस में आइआइटी मंडी के दीक्षांत समारोह में उन्होंने बीटेक की गौरवपूर्ण उपाधि प्राप्त कर कुशाग्र ने कोरबा व छत्तीसगढ़ को गौरवांन्वित होने का अवसर दिया है।


प्रारंभ से मेधावी विद्यार्थी रहे कुशाग्र राठौर ने हाईस्कूल तक की अपनी विद्यालयीन शिक्षा कोरबा में ही पूरी की। कक्षा 10 तक उन्होंने पंडित रविशंकर शुक्लनगर के सेंट विंसेंट पैलोटी स्कूल पढ़ा और बोर्ड में 9.8 सीजीपीए प्राप्त किया। आईआईटी में ऊंची तालीम के लिए अपने सिलेक्शन के लक्ष्य को लेकर तैयारी के लिए हैदराबाद चले गए। वहां नारायणा इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेकर अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई उसी संस्था द्वारा संचालित स्कूल से पूरी की। इसके बाद तेलंगाना बोर्ड से 12वीं में 97 प्रतिशत अंक अर्जित किया। नगर निगम कोरबा से सेवानिवृत एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जीपी राठौर के पोते व कमला नेहरू महाविद्यालय में कार्यरत सहायक प्राध्यापक अनिल राठौर के बेटे कुशाग्र राठौर का सपना वर्ष 2019 में आईआईटी में सिलेक्शन से पूरा हुआ। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के आईआईटी मंडी से अपनी बीटेक की पढ़ाई डाटा साइंस विषय लेकर सन 2023 में पूरी की। 16 अक्टूबर आइआइटी मंडी के दीक्षांत समारोह में उन्होंने अपनी उपाधि प्राप्त की।
एकाग्रता सबसे जरूरी है, फिर कठिनाई हार जाती है: कुशाग्र राठौर
कुशाग्र ने कहा कि एकाग्रता हो तो कठिनाई हार ही जाती है। यही उन्होंने तब किया, जब दो साल तक हैदराबाद से 30 किलोमीटर दूर रविरायल गांव में रहे। यहां पर नारायणा का इंस्टीट्यूट में अपनी तैयारी पूरी की। 14 से 16 घंटे प्रतिदिन पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया। यह काफी इंटीरियर गांव है, जहां भीषण गर्मी पड़ती है और ग्रीष्म के मौसम में तापमान काफी ऊंचा हो जाता है। भीषण गर्मी सहते हुए कुशाग्र ने प्रतिदिन घंटों की पढ़ाई। बीमार हुए तो मीलों दूर शहर के डॉक्टर के पास जाना पड़ता। होली-दीपावली या अन्य त्योहारों पर भी घर से दूर रहकर एकाग्रता से केवल तैयारी पर फोकस किया, तब जाकर यह सफलता हासिल हुई।
अमेरिकन कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम
अपने पढ़ाई के दौरान ही कुशाग्र का सिलेक्शन जॉब के लिए भारत में ही अमेरिकन कंपनी अरिस्टा नेटवर्क में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में हुआ था, जहां वर्तमान में वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर कार्य कर रहे हैं। विषम परिस्थिति में भी अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने दादा गोपाल प्रसाद राठौर व परिवार का नाम रोशन करते हुए अपने दादा का सपना पूरा किया। कुशाग्र कमला नेहरू कॉलेज के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष अनिल राठौर व श्रीमती सरोजनी राठौर के पुत्र हैं।
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