दुकान से घर लाकर पानी में भिगोया और उड़ गए यूनिफार्म के रंग, दूसरी मांगी तो कह दिया मैंने सिर्फ बेचा, बनाया नहीं… उपभोक्ता आयोग ने ठोका जुर्माना


कोरबा(theValleygraph.com)। दुकान से बच्चे के लिए खरीदा गया स्कूल यूनिफार्म (टी शर्ट) गुणवत्ताहीन मिला। नई यूनिफार्म दुकान से घर लाकर जब भिगोया गया, तो उसके रंग ही उड़ गए। क्रेता ने दूसरे दिन दुकानदार के पास समस्या लेकर पहुंचा और उसके बदले में दूसरी यूनिफार्म देने का निवेदन किया। उस वक्त और यूनिफार्म नहीं होने पर दुकानदार ने 15 दिन बाद आने की बात कही। 15 दिन बाद जब पुनः संपर्क किया तो दुकानदार ने इंकार कर दिया और यह कहते हुए क्रेता को चलता कर दिया कि वह यूनिफार्म का निर्माता नहीं, केवल बेचने वाला है। यह मामला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण केंद्र पहुंचा, जहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद क्रेता के पक्ष में फैसला दिया गया है।

नर्सिंग गंगा कोलनी न्यू पोड़ीबहार निवासी विनय कुमार गौतम के पक्ष में उपभोक्ता फोरम ने फैसला सुनाया है। यह मामला विक्रेता द्वारा रंगहीन टी शर्ट बेचने के एवज में क्रेता द्वारा उसके बदले दूसरा टी शर्ट मांगने पर नहीं देने का है। उपभोक्ता फोरम में मामला जाने पर 340 रुपए की टी शर्ट के एवज में 5 हजार 340 रुपए देने पड़ गए। परिवादी विनय कुमार गौतम द्वारा खुराना स्कूल जोन के प्रो. अमरजीत खुराना टीपीनगर के विरुद्ध सेवा में कमी का अभिकथन करते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के तहत विरोधी पक्षकार से क्रय की गई रंगहीन स्कूल यूनिफार्म जूनियर टी शर्ट की राशि वापस दिलाने आर्थिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति सहित अन्य अनुतोष दिलाने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया था। अंतिम तर्क में परिवादी की ओर से मंजित अस्थाना व विरोधी पक्षकार की ओर से आरएस अग्रवाल अधिवक्ता उपस्थित हुए। मामले में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग कोरबा की अध्यक्ष श्रीमती रंजना दत्ता, सदस्य ममता दास व पंकज कुमार देवड़ा के समक्ष अपने अपने तर्क दिए। अंतिम सुनवाई में उपस्थिति में हुई। दोनों पक्षों का बयान व तर्क सुनने के बाद जिला उपभोक्ता फोरम ने परिवादी के पक्ष में फैसना सुनाते हुए मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के एवज में 3000 रुपए, वाद व्यय के रूप में एक हजार रुपए में उपभोक्ता विधिक सहायता के खाते में एक हजार रुपए के साथ टी शर्ट की कीमत 340 रुपए 30 दिन के अंदर जमा करने आदेश पारित हुआ है। ऐसा नहीं करने पर आदेश 6 प्रतिशत ब्याज देने कहा।


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