CG के जाने-माने वैज्ञानिक डॉ. निनाद बोधनकर ने बताया कि किशोर मादाओं के पैरों के पहले, दूसरे और चौथे जोड़े में घने बालों वाले ब्रश होते हैं, लेकिन मकड़ी के परिपक्व होने पर ये ब्रश गायब हो जाते हैं। गोला बनने के हुनर के मुकाबले में यह मकड़ियों की दूसरी बड़ी प्रजाति है। अपने वेब में शिकार का इंतजार करती केरवा बांध में इस मकड़ी की यह खूबसूरत तस्वीर डॉ शैलेंद्र कुमार पाटने ने कैद की है।
रायपुर(theValleygraph.com)। मध्यप्रदेश के भोपाल के समीप स्थित केरवा बांध पर बहुतायत में पाई जाने वाली इस मकड़ी को नेफिला पिलिप्स कहा जाता है। यह नेफिला पिलिप्स (उत्तरी गोल्डन ऑर्ब वीवर या विशाल गोल्डन ऑर्ब वीवर[2]) गोल्डन ऑर्ब-वेब मकड़ी की एक प्रजाति है। यह पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ-साथ ओशिनिया के सभी देशों में पाई जाती है। यह आमतौर पर प्राथमिक और द्वितीयक जंगलों और बगीचों में अपना बसेरा बनाती है। मादाएं बड़ी होती हैं और उनके शरीर का आकार 30-50 मिमी (कुल आकार 20 सेमी तक) तक बढ़ जाता है, जबकि नर 5-6 मिमी तक बढ़ जाते हैं। हाल ही में खोजी गई नेफिला कोमासी के अलावा यह गोला बुनने वाली मकड़ियों में दूसरी सबसे बड़ी है। किशोर मादाओं के पैरों के पहले, दूसरे और चौथे जोड़े में घने बालों वाले ब्रश होते हैं, लेकिन मकड़ी के परिपक्व होने पर ये ब्रश गायब हो जाते हैं।