सरस्वती शिशु मंदिर के भैया-बहनों में वैदिक गणित के विज्ञान पर हुई सवाल-जवाब की जोर-आजमाइश


सरस्वती उमावि सीएसईबी पूर्व में जिला स्तरीय विज्ञान वैदिक गणित मेला, स्पर्धा में शामिल हुए 14 स्कूल के 184 छात्र-छात्राएं

कोरबा(thevalleygraph.com)। वैदिक गणित, गणना की ऐसी पद्धति है, जिससे जटिल अंकगणितीय गणनाएं अत्यंत ही सरल, सहज व त्वरित रूप से कर पाना संभव हैं। इसका प्रणयन बीसवीं सदी के आरम्भिक दिनों में किया गया। भारत की इस प्राचीन विधा को प्रोत्साहित करते हुए शनिवार को जिला स्तरीय विज्ञान वैदिक गणित मेला आयोजित किया गया। मेला सह जिला स्तरीय प्रतियोगिता में 14 विद्यालयों के 184 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और इस विषय पर प्रश्नमंच व प्रदर्श पत्र के माध्यम से अपनी प्रतिभा का आंकलन-प्रस्तुतिकरण किया। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले होनहार छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत कर उत्साहवर्धन किया गया।

इस जिला स्तरीय विज्ञान वैदिक गणित मेले का आयोजन विद्याभारती की प्रांतीय इकाई सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़ रायपुर के तत्वावधान में किया गया। यह कार्यक्रम शनिवार को सरस्वती शिशु मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय सीएसईबी कोरबा (पूर्व) में रखा गया था। विद्यालय के सांस्कृतिक सभाकक्ष में अतिथियों ने मां सरस्वती के भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि वनवासी शिक्षा न्यास वनांचल क्षेत्र छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष व सचिव चंद्रकिशोर श्रीवास्तव रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जोगेश लाम्बा सचिव व व्यवस्थापक, सरस्वती शिक्षा समिति कोरबा ने की। सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़ रायपुर के अध्यक्ष जुड़ावन सिंह ठाकुर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर सरस्वती शिक्षा समिति कोरबा के समन्वयक सूर्यकुमार पाण्डेय, विभाग समन्वयक गेंदराम राजपूत, संस्थान प्रतिनिधि के रूप में प्रतियोगिता जिला पर्यवेक्षक लक्ष्मीनरायण जायसवाल, प्राचार्य सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्रगति नगर उपस्थित रहे। अतिथियों के विद्यालय में आगमन होने पर रोली, तिलक से स्वागत किया गया व दीप प्रज्ज्वलित किए गए। प्रतियोगिता में जिले के 14 विद्यालयों के 184 भैया-बहन शिशु बाल, किशोर-तरूण वर्ग से सम्मिलित हुए और अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की। इनमें विज्ञान गणित प्रश्नमंच, प्रदर्श पत्र वाचन प्रतियोगिताएं शामिल है। प्राचार्य राजकुमार देवांगन ने समस्त अतिथियों और आगन्तुकों के प्रति आभार ज्ञापित किया। इसके बाद तत्पश्चात प्रतियोगिता का शुभारंभ किया गया। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए पुरस्कृत किया गया।
प्राचीन भारतीय संस्कार आज भी जीवंत रूप से विद्यमान: जुड़ावन सिंह ठाकुर
विशिष्ट अतिथि जुड़ावन सिंह ठाकुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालयों में हमारे प्राचीन भारतीय संस्कार आज भी जीवंत रूप से विद्यमान हैं। यहां के बच्चों को यह उत्कृष्ट संस्कार प्रदान किए जा रहे हैं। सच्ची लगन कठिन परिश्रम व गुरूजनों के आशीर्वाद से ही किसी कला में उच्च स्तर तक सफलता प्राप्त की जा सकती है। आज विभिन्न विधाओं में जिला स्तर में चयनित होना है। किसी प्रतियोगिता में सफलता के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति और आत्म विश्वास का होना जरूरी है। ऐसे ही कार्यक्रमों से आत्म विश्वास का जागरण होता है। हममें क्रमश: सीखने की प्रवृति होनी चाहिए। एकाग्रता से ही विजयश्री प्राप्त होती है। यहां अपनी उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन छात्र-छात्राएं करेंगे। उन्होंने सबकी सफलता के लिए शुभकामना व्यक्त की।

कठिन परिश्रम व सच्ची लगन से ही विद्या में सफलता: चंद्रकिशोर श्रीवास्तव
मुख्य अतिथि चंद्रकिशोर श्रीवास्तव ने कहा कि हर समय कुछ न कुछ समारोह का आयोजन होते रहता है। इससे मनुष्य सुखी व प्रसन्न रहता है। इस संघर्षमय जीवन को ठीक से जीने के लिए इस प्रकार के उत्सवों का आयोजन आवश्यक है। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों में मनुष्य का विकास होना आवश्यक है। बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि कठिन परिश्रम व सच्ची लगन से आप अपनी विद्या में अवश्य ही सफलता प्राप्त करेंगे।

दृढ़ इच्छा शक्ति, आत्म विश्वास तथा पूर्ण एकाग्रता: जोगेश लाम्बा 

अपने अध्यक्षीय आशीर्वचन में जोगेश लाम्बा ने कहा कि किसी भी प्रतिस्पर्धा में हमें अपने पूर्व प्रदर्शन को ध्यान में रखकर दृढ़ इच्छा शक्ति, आत्म विश्वास तथा पूर्ण एकाग्रता के साथ तैयारी करनी चाहिए। आने वाले समय किसी भी प्रतियोगिता के लिये और भी चुनौती का समय होगा। सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को अपनी विधा में सफलता प्राप्त करने उन्होंने उज्जवल भविष्य की कामना की।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *