पं.मुकुटधर पांडेय साहित्य भवन कोरबा में 42 वें स्थापना दिवस पर सजी गीत-गजल की महफिल, चले व्यगों के बाण और सुनी-सुनाई गई दिल की सुरमई बातें


संकेत साहित्य समिति का 42वां स्थापना दिवस आयोजित, संकेत सहित समिति के गठन पर प्रकाश डालते हुए कोरबा जिले के सचिव डॉ.कृष्ण कुमार चन्द्रा ने बताया कि बालको नगर कोरबा में इस समिति का गठन 11 सितंबर 1981 को हुआ था इसके प्रेरणा स्रोत व संस्थापक डॉ. माणिक विश्वकर्मा नवरंग हैं , जो अभी इस समिति के प्रांतीय संयोजक व अध्यक्ष हैं।

कोरबा(thevalleygraph.com)। संकेत साहित्य समिति कोरबा इकाई द्वारा पं.मुकुटधर पांडेय साहित्य भवन कोरबा में 42 वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता यूनुस दानियालपुरी ने की। अतिथि बतौर उमेश अग्रवाल, जे. पी. श्रीवास्तव, महावीर प्रसाद चन्द्रा दीन, भुवनेश्वर देवांगन नेही, इकबाल अंजान व अंजना सिंह मंचस्थ रहे। सर्वप्रथम मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन के पश्चात मां शारदे की वंदना प्रस्तुत की गई व मंचस्थ अतिथियों का सम्मान समिति की ओर से बैच लगाकर किया गया। संकेत सहित समिति के गठन पर प्रकाश डालते हुए कोरबा जिले के सचिव डॉ.कृष्ण कुमार चन्द्रा ने बताया कि बालको नगर कोरबा में इस समिति का गठन 11 सितंबर 1981 को हुआ था इसके प्रेरणा स्रोत व संस्थापक डॉ. माणिक विश्वकर्मा नवरंग हैं , जो अभी इस समिति के प्रांतीय संयोजक व अध्यक्ष हैं। उनके मार्गदर्शन में कोरबा जिले में यह समिति विगत 42 वर्षों से अपनी साहित्यिक गतिविधियों के लिए ख्याति प्राप्त करते आ रही है। आगे उन्होंने बताया कि साहित्य में संकेतों, प्रतिबिंबों व नये उपमानों के माध्यम से अपनी बात कहने से रचना बहुत प्रभावित होती है और संकेत साहित्य समिति सदैव अपने साहित्यकारों व नवोदित कवियों को छंद व मुक्तछंद के माध्यम से नित नये सृजन हेतु प्रेरित करती रही है।

ऊर्जाधानी के 35 साहित्यकारों ने किया काव्यपाठ

कार्यक्रम के दौरान ऊर्जाधानी के 35 साहित्यकारों ने काव्यपाठ किया। शुभारंभ इकबाल अनजान की खूबसूरत गजल से व समापन मो. यूनुस दनियालपुरी की गजल के साथ हुआ। एम.आर.राव, जे.पी.श्रीवास्तव, गीता विश्वकर्मा की गजल के पश्चात मनीष कुमार ने गजल व देवव्रत कुर्रे व राधे श्याम साहू ने तरन्नुम में अपनी गजलों की प्रस्तुति कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। गीतकारों में डॉ.कृष्ण कुमार चन्द्रा ने कुछ-कुछ अपने पापा जैसे, कुछ-कुछ मेरे जैसा है। मैंने जो देखा था सपना बेटा तू तो वैसा है। बालगीत सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया। कविता जैन ने युवाओं पर केन्द्रित ओजपूर्ण कविता पढ़ी। हमेशा की तरह जितेंद्र वर्मा ने बहुत ही सुंदर छंद पढ़ा। पूजा तिवारी, रसीदा बानो ने अपनी सुमधुर आवाज में गीत प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। मंजुला श्रीवास्तव, संतोष मिरी, ज्योति दीवान व अर्चना साहू के गीतों ने सबको आल्हादित कर दिया। कौशिल्या खुराना की पुत्र व रश्मि मानिकपुरी ने पुस्तकों को मित्र मानकर रचना करके सबको स्तब्ध कर दिया। इंदू देवांगन की भगत सिंह पर केंद्रित रचना, रामकृष्ण साहू का सस्वर दोहा पाठ, प्रभात शर्मा, निर्मला ब्राह्मणी के मुक्तक बहुत ही प्रभावी रहे।

डॉ मंजुला साहू के देशभक्ति पूर्ण गीतों ने समां बांधा

डॉ मंजुला साहू के देशभक्ति पूर्ण गीत व अंजना सिंह के देशभक्ति पूर्ण रचना ने देशप्रेम का वातावरण निर्मित कर दिया। अनुसूईया श्रीवास, रेशमा ठाकुर ने अपनी भक्ति रस की रचनाओं की प्रस्तुति दी। कोरबा जिले में छत्तीसगढ़ी रचना के सशक्त हस्ताक्षर महावीर प्रसाद चन्द्रा दीन ने छत्तीसगढ़ की महिमा व उमेश अग्रवाल ने मां सर्वमंगला पर मनमोहक रचना पढ़कर खूब तालियां बटोरी। जहां हास्य व्यंग्य के कुशल चितेरे बलराम राठौर ने व्यवस्था पर तीखा व्यंग कसा, वहीं भुवनेश्वर देवांगन नेही ने गणपति पूजा पर, जगदीश श्रीवास ने कुरु-कुरु आबे रे, कुरु-कुरु आजा तथा धरम सिंह साहू व दीपक सिंह ने हास्य की चुटकियों से खूब हँसाया। बंशीलाल यादव अभिलाषी ने अपनी विधा में काव्यपाठ श्रोताओं को गुदगुदाया। कार्यक्रम का सरस, मनोरंजक व सुमधुर संचालन मंजुला श्रीवास्तव व जितेंद्र वर्मा ने किया। अंत में संकेत के संस्थापक व प्रांतीय अध्यक्ष डॉ.माणिक विश्वकर्मा नवरंग ने सबके प्रति आभार व्यक्त किया।
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