ज्योत्सना और सरोज के बाद रण में कूदे श्याम सिंह मरकाम, गोंगपा को मिलती रही है चुनावी संग्राम के थर्ड अंपायर की कमान


लोकसभा निर्वाचन-2024 : – दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, घातक हो सकती है स्थानीय पार्टी की अनदेखी, जनरल सीट पर एक जनरल

उत्तरप्रदेश में सपा तो महाराष्ट्र में शिवसेना-मनसे और बिहार में जदयू-आरजेडी जैसे क्षेत्रीय दलों की दखल पूरे देश की राजनीति में चर्चा का केंद्र रहे हैं। इन दलों के बनते-बिगड़ते मूड का असर राष्ट्रीय स्तर की सियासत पर दिखाई देता है। जहां तक छत्तीसगढ़ की बात है, यहां गोंगपा और जकांछ भी सियासी समीकरण और नतीजों के आंकड़े परिवर्तित करने अहम रोल अदा करती आई है। इसी कड़ी में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बाद अब कोरबा लोकसभा के चुनावी रण में एक तीसरे खिलाड़ी ने एंट्री ली है। कांग्रेस से ज्योत्सना महंत व भाजपा की सरोज पांडेय के बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से श्याम सिंह मरकाम भी मैदान में उतर गए हैं। पुराने रिकार्ड पर गौर करें तो गोंगपा को हर अहम मौकों पर चुनावी संग्राम के थर्ड अंपायर की कमान से जनता नवाजती रही है। मौजूदा स्थिति में भी इसकी अनदेखी दिग्गजों की प्रतिष्ठा और वांछित नतीजों के लिहाज से घातक साबित हो, तो इंकार नहीं किया जा सकता।

कोरबा(thevalleygraph.com)। जहां कोरबा लोकसभा में लगभग 50 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं, वहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में केवल छत्तीसगढ़ से गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर हीरासिंह मरकाम ही चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच सके। मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में प्रभाव होने के बाद भी उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिल सकी। इस बात पर भी गौर करना होगा कि राज्य के क्षेत्रीय दलों की भूमिका उस राज्य में बदलते राजनीतिक समीकरण का अहम हिस्सा भी हो सकती है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रभाव छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड, ओडिशा व उत्तरप्रदेश के लगभग 30 से 32 लोकसभा क्षेत्रों में है। इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के 12 से 15 लोकसभा क्षेत्रों में हार-जीत को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी निर्णायक भूमिका भी निभाती रही है, जिसके कारण नतीजों में उलटफेर की स्थिति भी बनती रही है। प्रदेश़ में गोंगपा व जकांछ ही दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों के रूप में उभरे और कुछ हद तक भाजपा-कांग्रेस के बीच प्रभाव भी कायम कर सोचने को भी मजबूर किया। हम अगर थोड़ा ठहरकर वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों और राजनीतिक दलों के खाते का आकलन करेंगे, तो दिखाई देगा कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का झंडा लेकर चुनाव मैदान में दिखाई दिए उम्मीदवारों का प्रदर्शन हैरत में डालने वाला था।

विस चुनाव 2018 में दमदार दखल, लोकसभा चुनाव 2019 में बिखर गए
वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने एक दमदार क्षेत्रीय दल के रूप में जो ताकत दिखाई थी, जो महज छह महीने बाद के लोकसभा चुनाव-2019 में वह पूरी तरह बिखर गई। विधानसभा चुनाव में कोरबा लोकसभा में आने वाले सिर्फ छह विधानसभा से प्रत्याशी खड़ा कर गोंगपा ने एक लाख 30 हजार 225 वोट बटोरे, जबकि आठ विधानसभा क्षेत्रों वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी को मात्र 37 हजार 417 वोट मिले। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के मतदाताओं में क्षेत्रीय पार्टी को लेकर वह आकर्षण नहीं बन सका जो उत्तरप्रदेश, पंजाब या अन्य राज्यों में वहां के स्थानीय दलों का दिखाई देता है।

गोंगपा ने दस सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों को मैदान में किया पेश
लोकसभा निर्वाचन-2024 में जोर-आजमाइश शुरु करते हुए गोंगपा ने दस सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों को मैदान में पेश कर दिया है। पार्टी के अधिकृत घोषणा में सरगुजा (ST) से डॉ. एल. एस. उदय, रायगढ़ (ST) से मदन गोंड़, जांजगीर चांपा (SC) से मनहरण लाल भारद्वाज, कोरबा (GEN) से श्याम सिंह मरकाम, बिलासपुर (GEN) से नंदकिशोर राज, राजनांदगांव (GEN) से नरेश कुमार मोटघरे, दुर्ग (GEN) से मनहरण सिंह ठाकुर, रायपुर (GEN) से लालबहादुर यादव, महासमुन्द (GEN) से फरीद कुरैशी और बस्तर (ST.) से टीकम नागवंशी को प्रत्याशी बनाया गया है। कांकेर सीट के लिए प्रत्याशी के नाम का ऐलान जल्द होने की बात कही गई है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने साल 2023 का छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव बसपा के साथ गठबंधन में लड़ा था। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से यह पहली बार है, जो गोंगपा ने पाली-तानाखार विधानसभा की एक सीट पर कब्जा किया।

लोकसभा चुनाव- 2019 में ऐसे रहे आंकड़े


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