जरा सी हवा क्या चली, घरों में बिजली की लुकाछुपी ताबड़ तोड़ शुरु हो जाती है। यहां तो आंधी-तूफान बरपा है। नतीजा ये कि लेमरु क्षेत्र में पिछले छह दिनों से बत्ती गुल है और विद्युत विभाग के अफसर-कर्मी गर्मी के मौसम में एसी-कूलर का आनंद लेते मस्त हैं। समस्या का हल निकालना तो दूर, क्षेत्र के लोगों को उनके हाल पर यंू छोड़ दिया गया है, जैसे उन्हें इसकी जरुरत ही नहीं। रात को अगर किसी मरीज को डॉक्टर की जरुरत पड़ जाए, तो लेमरु अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी अपने मोबाइल टॉर्च की रोशनी में नब्ज अटोलकर दवा-इंजेक्शन की जुगत करते हैं। इसी तरह रात परीक्षाओं में शामिल हो रहे विद्यार्थियों की पढ़ाई से लेकर घर के सभी काम रात के वक्त लालटेन पर निर्भर हो चले हैं।
कोरबा(thevalleygraph.com)। क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि तेज हवाओं और अंधड़ जैसी विपरीत मौसमी परिस्थिति तो बाद में निर्मित हुई है, पर बिजली गुल की परेशानी को आज आज पूरे छह दिन बीत गए हैं। इस समस्या से अवगत कराने के बाद भी बिजली विभाग ने व्यवस्था दुरुस्त करने यथोचित कार्यवाही तो दूर, आखिर इस स्थिति की वजह क्या है, कोई यह जानने की जहमत उठाने भी नहीं पहुंचा है। इस समस्या के चलते लेमरू अस्पताल, सरकारी स्कूल, हास्टल मंडी में लाइट नहीं जल रही है। इसका खामियाजा क्षेत्र के ग्रामीणों, पढ़ने-लिखने वाले बच्चों और वक्त बे वक्त अपने काम से आने-जाने वाले साइकिल और पैदल राहगीरों को परेशान होकर भुगतना पड़ रहा है।
आसमान में बादलों का डेरा, सोलर पैनल भी नहीं आ रहे काम
इन दिनों बदली-बारिश की विपरीत दशा भी देखने को मिल रही है। बादलों की वजह से सूरज की रोशनी बराबर नहीं मिल रही और गांव में लगे सोलर पैनल भी मौसम के कारण ठीक से नहीं चल पा रहा हैं। इस वजह से कारण लेमरु अस्पताल में चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन में काफी दिक्कतें महसूस की जा रही हैं। इसके साथ ही लेमरु में रहकर क्षेत्र के ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे कर्मियों को बिना बिजली विहिन अव्यवस्था में निवास करने में भी दिक्कतें हो रही हैं।